विधानसभा चुनाव से पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह का बड़ा ऐलान , जानकर सभी नेता हैरान

 पंजाब में कांग्रेस से निकलने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह लगातार नए सिरे से अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। लेकिन, इसी दौरान उनके सामने एक नई चुनौती खड़ी कर दी गई है।

सरबत खालसा की ओर से नियुक्त एक जत्थेदार ने बरगाड़ी मामले में उनपर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर उन्हें तनखैया घोषित कर दिया है। यह पूरा मामला क्या है और क्या पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले इसकी वजह से कैप्टन बड़ी मुश्किलों में फंस सकते हैं, हम यह पूरी कहानी आपको बताने जा रहे हैं और हमने तनखैया प्रक्रिया को लेकर सिख एक्सपर्ट से भी खास जानकारी जुटाई है।

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के पूर्व नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह को सरबत खालसा की ओर से नियुक्त एक जत्थेदार ज्ञानी ध्यान सिंह मंड ने ‘तनखैया’ घोषित कर दिया है। इस मौके पर ध्यान सिंह ने कहा कि, ‘हमने अमरिंदर सिंह को कई मौके दिए कि सिख जत्थेदारों के सामने स्पष्टीकरण दें, लेकिन वे नहीं आए।’

पंजाब के पूर्व सीएम पर आरोप है कि उन्होंने बरगाड़ी मामले के गुनहगारों को सजा दिलाने का वादा करके आंदोलन तो रुकवा दिया, लेकिन सजा नहीं मिल पाई। उनपर सिख संगत को झूठे सपने दिखाने का आरोप लगाया गया है। इस गुट का आरोप लगाया गया है कि कैप्टन श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा के तहत सिख पंथ के दोषी हैं।

सिख धर्म के अनुसार तनखैया का मतलब है सिख धर्म के तहत धार्मिक दुराचार का दोषी। इसकी घोषणा सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था करती है। कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसके लिए व्यवस्था है कि वह नजदीकी सिख संगत के समक्ष उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांग ले।

तब संगत की ओर से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में कसूरवार के कसूर की समीक्षा की जाएगी और फिर उसी के हिसाब से उसके लिए दंड तय किया जाएगा। इस संबंध में वन इंडिया ने वरिष्ठ पत्रकार सरदार गुरप्रीत सिंह से बात की है। उन्होंने इसके बारे में बताया है, “तनखैया मतलब जिसको धर्म से निष्कासित कर दिया जाता है कि उसकी गतिविधियां सिख धर्म के खिलाफ हुई हैं। जो उसकी कार्यशैली है वह खिलाफ गई है।

आम भाषा में समझें तो जैसे हम कहते हैं न कि हुक्का-पानी बंद कर दिया।” उन्होंने कहा, “इसका मतलब है कि कोई सिख ना तो इससे संपर्क रखे, ना संबंध रखे। ना इसके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में जाए और ना ही बुलाए। टोटली बायकॉट।”

सिख धर्म की मान्यता के तहत सिख संगत को क्षमा देने को लेकर बहुत कठोर रुख नहीं अपनाना चाहिए। ना ही दोषी को सजा को लेकर किसी तरह की बहसबाजी करनी चाहिए। इसके तहत जो सजा दी जाती है, वह मूलरूप से सेवा भाव वाली होती है और संबंधित व्यक्ति को कोई भी सेवा करने के लिए कहा जा सकता है, जो वह अपनी हाथों से कर सकता है।

गुरप्रीत सिंह का कहना है कि “तनखैया घोषित होने के बाद अगर कोई माफी मांगता है, तो फिर उसकी सजा की ऐलान की जाती है। सजा में ये होता है कि जैसे वहां हरमंदिर साहिब हैं तो वहां आपको एक हफ्ते तक जाकर जूते साफ करने हैं। सजा इसी तरह की होती है कि सेवा करो। फिर सजा पूरी होने पर तनखैया हटाई जाती है। ”