अयोध्या :रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद में विवादित जमीन होगी हिन्दुओ के हिस्से में, आया फैसला

अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला सुनाया जा रहा है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मुस्लिमों को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह दी जाए

फैसला सुनाते वक्त सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा-

  • बाबरी मस्जिद को मीर बाकी ने बनाया था.
  • कोर्ट को लोगों की आस्था को स्वीकार करना चाहिए
  • रामजन्मभूमि लीगल पर्सनैलिटी नहीं है, लेकिन देवता (राम लला) न्यायिक पर्सन है
  • ASI की रिपोर्ट को अनदेखा नहीं किया जा सकता
  • ASI की रिपोर्ट में रिपोर्ट में कहा गया था कि वहां एक मंदिर था
  • बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी. विवादित भूमि के नीचे वाला ढांचा इस्लामिक मूल का नहीं था
  • इतिहास दर्शाता है कि हिंदू का विश्वास रहा है कि अयोध्या भगवान राम की जन्मभूमि है
  • ASI ने यह साफ नहीं किया था कि मस्जिद बनाने के लिए मंदिर को गिराया गया था
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड एडवर्स पजेशन का दावा नहीं कर सकता
  • यह साफ है कि मुस्लिम अंदर वाले कोर्टयार्ड में नमाज पढ़ते थे और हिंदू बाहर वाले कोर्टयार्ड में पूजा करते थे

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर 6 अगस्त से शुरू हुई रोजाना सुनवाई 16 अक्टूबर को पूरी हुई थी. 40 दिनों की यह सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) रंजन गोगोई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान बेंच ने की. इस बेंच में सीजेआई गोगोई के अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल रहे.

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में केशवानंद भारती केस (68 दिन की सुनवाई) के बाद अयोध्या मामले पर सुनवाई सबसे लंबी सुनवाई है.

क्या था अयोध्या का पूरा विवाद?

सुप्रीम कोर्ट ने 1994 के इस्माइल फारुखी केस में अयोध्या विवाद को इन शब्दों में बयां किया था-

”अयोध्या भारत के उत्तरी हिस्से में स्थित उत्तर प्रदेश के फैजाबाद जिले का एक टाउनशिप है. यह लंबे समय से एक पवित्र तीर्थस्थल रहा है क्योंकि रामायण में इस स्थान को श्री राम का जन्म स्थान बताया गया है. रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद के तौर पर जाना जाने वाला ढांचा साल 1528 में मीर बाकी ने एक मस्जिद के तौर पर बनवाया था. कुछ धड़े दावा करते हैं कि यह (ढांचा) श्री राम की जन्मभूमि मानी जाने वाली जमीन पर बनाया गया था, जहां पहले एक मंदिर था.”

यहां जिस मीर बाकी का जिक्र किया गया, उसे बाबर के कमांडर के तौर पर जाना जाता है.

हालांकि यह मजह हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष के बीच विवाद का मामला नहीं था. दरअसल इस मामले के 3 मुख्य याचिकाकर्ताओं में से दो- निर्मोही अखाड़ा और रामलला विराजमान हिंदू पक्ष से रहे. इन दोनों ने ही विवादित जमीन पर अपना-अपना हक जताया. जहां निर्मोही अखाड़ा की दलील थी कि लंबे समय से भगवान राम की सेवा करने की वजह से उसे जमीन मिलनी चाहिए, वहीं रामलला विराजमान ने कहा था कि इस जमीन पर मालिकी सिर्फ देवता की ही हो सकती है.

कोर्ट में किस तरह आगे बढ़ा मामला?