अयोध्या केस: हिन्दुओं को लगा बड़ा झटका, न्यायालय ने कहा 2 दिन में बनेगा ये ?

देश संसार की निगाह आज उच्चतम न्यायालय पर टिकी है. अयोध्‍या टकराव पर आज शीर्ष न्यायालय का ऐतिहासिक   निर्णय आने वाला है.

आखिर क्‍या है इस फसाद की जड़. क्‍या है इसका ऐतिहासित महत्‍व. आज हम आपको इस नगर के प्राचीन, मध्‍यकालीन  आधुनिक कड़‍ियाें से जोड़ते हैं. कैसे  कब यह ऐतिहासिक नगर अवध से अयोध्‍या बन गया. राम की नगरी से बाबर की नगरी तक का पूरा सफरनामा.

कोसल प्रदेश की राजधानी थी अवध

ऐति‍हासिक साक्ष्‍यों के अनुसार अयोध्‍या कोसल प्रदेश की राजधानी थी. कालांतर में इस कोसल प्रदेश के दो हिस्‍से हो गए. उत्‍तर कोसल  दक्षिण कोसल. इन दोनों प्रदेशों को सरयू नदी विभक्‍त करती थी. रामायण ग्रंथ के मुताबिक में अयोध्‍या का उल्‍लेख कोशल प्रदेश की राजधानी के रूप में किया गया था. हालांकि पुराणों में इस नगर के बारे में कोई खास विवरण नहीं मिलता. साक्ष्‍यों के मुताबिक राम के जन्‍म के वक्‍त यह नबर अवध नाम से जाना जाता है. मौजूदा समय में यह अयोध्‍या से नाम जाना जाता है.

मनु ने की थीअयोध्‍या की स्‍थापना

अयोध्‍या हिंदुओं का प्राचीन  पवित्रस्‍थल है. रामायण के मुताबिक अयोध्‍या की स्‍थापना मनु ने की थी. मनु का जिक्र पौरााणीक साक्ष्‍यों में उपलब्‍ध है. हिंदुओं के तीर्थस्‍थलों में अयोध्‍या, मथुरा, माया (हरिद्वार), काशी, कांची अवंतिका  द्वारका शामिल है. ऐसी मान्‍यता है कि हिंदुओं के इष्‍ट श्रीराम का जन्‍म अयोध्‍या में हुआ था. राम के प‍िता दशरथ का यहां साम्राज्‍य था.

बौद्ध साहित्‍य में अयोध्‍या बनाम साकेत

बौद्ध साहित्‍य में भी अवध प्रांत का जिक्र है. इसके मुताबिक बौद्ध काल में अयोध्‍या के साथ-साथ साकेत का भी जिक्र मिलता है. साक्ष्‍य बताते है कि अयोध्‍या के निकट साकेत नामक एक नयी बस्‍ती बसाई गई. बौद्ध साहित्‍य में साकेत  अयोध्‍या का नाम साथ-साथ मिलता है. इसके कारणकई इतिहासकार  विद्वान साकेत  अयोध्‍या को एक ही मानते हैं । कालीदास ने भी अपने रघुवंश में दोनों नगरों को एक ही माना है. जैन साहित्‍य में में भी इसका जिक्र है. वहीं वाल्मीकि रामायण में अयोध्या को कोशल की राजधानी बताया गया है. इसके बाद संस्कृत ग्रंथों में साकेत से मिला दिया गया.

मीर बाकी ने अवध प्रदेश पर किया कब्‍जा

15वीं सदी में मुगल साम्राटबाबर की हिंदुस्तान पर नजर थी. सोने की चीडि़या कहे जाने वाला हिंदुस्तान उसको हर पल बेचैन करता था. 1526 में वह हिंदुस्तान कूच पर निकला. 1528 तक उसके साम्राज्‍य का विस्‍तार अवध तक हो चुका था. हिंदू अपने आराध्य देव भगवान राम का जन्म जगह मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि बाबर को सेनापति मीर बाकी ने कराया था. कालांतर में यह मस्जिद बाबरी मस्जिद के नाम से जानी जाती है.