आज उच्चतम न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय आने वाला है। इस मुद्दे पर सुप्रीम न्यायालय के इतिहास में अब तक की दूसरी सबसे लंबी चली सुनवाई थी।
सबसे लंबी सुनवाई का रिकॉर्ड 1973 के केशवानंद भारती केस का है, जिसमें 68 दिनों तक सुनवाई चली थी। वहीं इस मुद्दे में 40 दिनों तक नियमित सुनवाई हुई। आपको बताते हैं कि इस केस को लेकर तीनों पक्षों, निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान व सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने क्या-क्या दलील रखी।
निर्मोही अखाड़ा: गर्भगृह में रामलला की पूजा निर्मोही अखाड़े ने प्रारम्भ की थी। पूजा स्थल की व्यवस्था निर्मोही अखाड़ा ही करता रहा है
रामलला विराजमान : अयोध्या में भगवान राम का बालरूप है, उसी की पूजा होती है। रामलला के सबसे करीबी मित्र कहे जाते हैं रामलला विराजमान
सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड: जहां मंदिर का दावा किया जाता है, वहां पर बाबरी मस्जिद थी। मुस्लिम वहां नमाज़ पढ़ते रहे हैं, इसलिये वहां फिर मस्जिद बने।
अयोध्या टकराव में मंदिर को लेकर हिंदू व मुस्लिम पक्षों की क्या है दलील
हिंदू: स्कंद पुराण में जन्मस्थान का ज़िक्र। ASI को मिला मंदिर का ढांचा। सदियों से लोग पूजा करते रहे हैं। ढांचे में कमल की आकृतियां मिलीं
मुस्लिम: 1949 में गुंबद के नीचे रखी मूर्ति। ढांचा मस्जिद का होना भी संभव। मूर्ति का प्रकट होना करिश्मा नहीं। कमल मुगल मेहराबों में भी होते हैं