आज अयोध्या (Ayodhya) राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद (Ramjanmbhoomi babri masjid) टकराव पर उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) निर्णय सुनाएगा।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच इस मुद्दे में निर्णय सुनाएगी। निर्णय की संवेदनशीलता को देखते हुए सारे देश में सुरक्षा व्यवस्था कठोर कर दी गई है। अयोध्या में धारा 144 लागू है।
अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवादित परिसर पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) के निर्णय के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में अपील की गई थी। इस मुद्दे में चली सुनवाई के बाद आज निर्णय का दिन है। 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवादित परिसर को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इसमें एक भाग राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड व तीसरा निर्मोही अखाड़े को दिया गया।
उच्चतम न्यायालय ने 9 मई 2011 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय पर रोक लगा दी थी। उसके बाद से उच्चतम न्यायालय में इस मुद्दे की सुनवाई चली।
कैसे हुआ था राम मंदिर-बाबरी मस्जिद परिसर का बंटवारा
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की 3 जजों की बेंच ने बहुमत से राम मंदिर-बाबरी मस्जिद परिसर को तीन हिस्सों में बांटने का निर्णय दिया था। न्यायालय ने हिंदू व मुस्लिम समुदाय के बीच विवादित परिसर को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया। जहां राम लला विराजमान हैं, उस स्थान को हिंदू समुदाय को दिया गया था।
60 वर्ष से चले आ रहे टकराव को निपटाते हुए उच्च न्यायालय के जज एसयू खान व सुधीर अग्रवाल ने बोला था कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद परिसर में मस्जिद के तीन गुंबदों में बीच का गुबंद, जहां राम लला विराजमान हैं, उस स्थान को हिंदू समुदाय को दिया जाता है।
जस्टिस एसयू खान व सुधीर अग्रवाल ने बोला था कि विवादित परिसर की 2.7 एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांटा जाएगा व इसे सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा व राम लला पर दावा जताने वाले हिंदू समुदाय को दिया जाएगा।