रात होते ही दिल्ली में शुरू हुआ ये, देख अमित शाह ने पीछे किए हाथ

दिल्ली हिंसा को लेकर लिखा गया है, ‘दिल्ली के दंगों में अब तक 38 लोगों की बलि चढ़ गई है और सार्वजनिक संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है।

मान लें केंद्र में कांग्रेस या दूसरे गठबंधन की सरकार होती और विपक्ष के तौर भारतीय जनता पार्टी होती तो दंगों के लिए गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा गया होता।

आर्टिकल में आगे लिखा है- ‘अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि भाजपा सत्ता में है और विपक्ष कमजोर हैं। फिर भी सोनिया गांधी ने गृहमंत्री का इस्तीफा मांगा है।

देश की राजधानी में 38 लोग मारे गए उनमें पुलिसकर्मी भी है। केंद्र का आधा मंत्रिमंडल उस समय अहमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को सिर्फ नमस्ते कहने के लिए गया था।

सामना ने लिखा- ‘तीन दिनों बाद प्रधानमंत्री मोदी ने शांति बनाए रखने की अपील की। एनएसए अजीत डोभाल चौथे दिन अपने सहयोगियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर लोगों से चर्चा करते दिखे। इससे क्या होगा? सवाल यह है कि इस दौरान गृह मंत्री कहां थे?’

दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस एस.मुरलीधर के ट्रांसफर का जिक्र करते हुए सामना में लिखा गया है, ‘न्यायाधीश मुरलीधर ने जनता के मन के आक्रोश को आवाज दे दी और अगले 24 घंटे में राष्ट्रपति भवन से उनके तबादले का आदेश निकल गया।

केंद्र व राज्य की सरकार की अदालत ने आलोचना की थी। यह इसी का परिणाम है। सरकार ने अदालत द्वारा व्यक्त किये गए ‘सत्य’ को मार दिया। अदालत को भी सत्य बोलने की सजा मिलने लगी क्या?’

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हुई हिंसा पर शिवसेना के मुखपत्र सामना में सरकार से सवाल किये गए हैं। शुक्रवार को प्रकाशित सामना के अंक में केंद्र सरकार पर सवाल करते हुए पूछा गया है- ‘दिल्ली जब जल रही थी, लोग जब आक्रोश व्यक्त कर रहे थे तब गृह मंत्री अमित शाह कहां थे?’