दिल्ली में रात होते ही हुआ ये, भागने को मजबूर हुए लोग

दोपहर ताहिर और उनकी बहुएं यहां दोबारा आए, वो बेसब्री से मलबा हटा रहे थे. इस उम्मीद से कि शायद कुछ बचा हुआ मिल जाए, जो उनके आगे काम आ सके.

हालांकि, उन्हें कुछ नहीं मिला. आग से सब खाक हो चुका था. उनके पास अपने तबाह हो चुके घरौंदे के सामने रोने के सिवा और कुछ नहीं बचा था. रोते हुए ताहिर बताते हैं, ‘दंगाई बीते तीन दिनों से तांडव मचा रहे हैं.

वे घरों को जला रहे हैं और संपत्ति को बर्बाद कर रहे हैं. लोगों की जान ले रहे हैं. हम किसी तरह अपनी जान बचा पाए. मेरी पत्नी कमर से लकवाग्रस्त है.

वह बड़ी मुश्किल से इधर-उधर जा पाती है. हिंसा में मेरे दोनों बेटे बुरी तरह से घायल हो गए. हम लोगों ने 24 घंटों से कुछ खाया भी नहीं है. मेरा नन्हा पोता सिर्फ पानी के सहारे जीने को मजबूर है.’

हालांकि, हिंसा में मुस्लिमों के साथ-साथ कुछ हिंदुओं के घरों को भी नुकसान पहुंचा है. मगर ज्यादा नुकसान मुस्लिमों का ही हुआ है. ऐसे में मुसलमान परिवार सब कुछ छोड़कर भागने को मजबूर हैं.

उत्तर-पूर्वी जिले के खजुरी खास इलाके का गली नंबर चार. 65 साल के मोहम्मद ताहिर अपनी दो बहुओं के साथ खाक हो चुके मलबे की तरफ एकटक देखे जा रहे हैं, ये मलबा कभी उनका घरौंदा हुआ करता था. मंगलवार को भड़की हिंसा में ने उनका आशियाना जला दिया.

मंगलवार की सुबह करीब 1000 की संख्या में उपद्रवी इस गली में आए. घरों में जमकर तोड़फोड़ और लुटपाट की. फिर घर में आग लगा दिया.

जब आग लगाई गई, अंदर ताहिर के परिवार के सदस्य भी थे. दूसरे लोगों की तरह ताहिर और उनके परिवार के सदस्यों ने भी घर की छत से दूसरी जगह कूदकर किसी तरह अपनी जान बचाई. छज्जे-छज्जे से होकर वो किसी तरह दंगाईयों से बचकर निकले. इस गली में बना धार्मिक स्थल भी खाक हो चुका है.