फिर तेज हो रहा किसान आंदोलन , राजभवन के बाहर करने जा रहे…

सरकार से कई दौर में हुई बातचीत विफल रही है. सरकार ने लगातार किसानों से बात कर इस आंदोलन का हल निकालने की कोशिश की लेकिन किसान इस बिल की वापसी पर अड़े हैं. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी यह साफ कर दिया कि सरकार तीनों कृषि कानूनों के अलावा किसी भी मुद्दे पर किसानों से बातचीत के लिए तैयार है.

किसान संगठन इस दिन को प्रदर्शन की रणनीति इसलिए बना रहे हैं क्योंकि 26 जून साल 1975 में देश में आपातकाल लागू किया गया था. किसान नेताओं ने इस दिन को चुनते हुए कहा कि आज भी आपातकाल लगा है पर अघोषित है. हमारी मांग सुनी नहीं जा रही है. नागरिकों के प्रजातांत्रिक अधिकारों पर हमला किया गया है.

अबतक राष्ट्रीय राजधानी में सीमाओं पर किसान विरोध कर रहे हैं किसान 26 नवंबर से इस कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और अब भी किसान दिल्ली की बार्डर पर टैंट लगाये अपनी मांग मानने का इंतजार कर रहे हैं.

इस आंदोलन के दौरान काले झंड़े दिखाकर भी किसान अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे. दिल्ली में किसानों का एक दल राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेगा और उन्हें अपने मांगों का ज्ञापन सौपेगा. यह आयोजन संयुक्त किसान मोरचा के बनैर तले देश के कई राज्यों में किसान करेंगे.

देश में तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन लगातार जारी है. आंदोलन पर बैठे किसान एक बार फिर इसे तेज करने की तैयारी में है. किसान संगठनों ने फैसला लिया है कि 26 जून को देशभर में राजभवनों के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे. 26 जून के इस दिन को खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ ” दिन के रूप में मनायेंगे.