अमित शाह के जाते ही सीएम योगी ने किया ये काम, पाबंदी लगाने की उठी मांग

वे 1998 से 2017 तक भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और 2014 लोकसभा चुनाव में भी यहीं से सांसद चुने गए थे।

 

विवादित नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ अमेरिका में भी सिविल सोसाइटी ने मुहिम तेज़ कर दी है. अमेरिका में रहने वाले भारतीय-अमेरिकियों के संगठन, सिविल और मानवाधिकार संगठनों ने राजधानी वाशिंगटन डीसी के राष्ट्रीय प्रेस क्लब में गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस कर इस क़ानून की मुख़ालफ़त की.

संगठनों ने कहा कि अगर भारत इस क़ानून को अंगीकृत करता है तो गृह मंत्री अमित शाह पर पाबंदी लगाई जाए. बयान में इस क़ानून के साथ प्रस्तावित एनआरसी को जोड़कर इसे “भारत के धार्मिक अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ भेदभावपूर्ण” करार दिया गया है.

बयान के मुताबिक़ इससे भारत में रहने वाले 20 करोड़ मुसलमानों को ‘अवैध प्रवासी’ करार दिया जा सकता है.
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान संगठनों ने राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप से मांग की कि भारत द्वारा पारित इस ‘भेदभावपूर्ण क़ानून’ के ख़िलाफ़ वो सख़्ती दिखाएं. संगठनों की मांग है:

भारत सरकार को औपचारिक तौर पर नागरिकता संशोधन क़ानून को वापस लेने का अनुरोध किया जाए. ये भारत के अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का उल्लंघन है जिसमें ये कहा गया है कि नस्ल, धर्म, रंग, राष्ट्रीयता और जातीयता के आधार पर किसी की नागरगिकता तय नहीं की जा सकती.

ये सिविल और राजनीतिक अधिकार पर अंतरराष्ट्रीय संधि के अलावा कई और मानवाधिकार संधियों में दर्ज है.योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्त तथा राजनेता हैं एवं वर्तमान में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं।

इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यहाँ के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली।