चीन से तनाव के बीच भारत ने सीमा पर तैनात किया ये हथियार, चक्कर लगा रहे …

वायुसेना ने चिनूक हेलीकॉप्टर को भी तैयार कर रखा है. आज लद्दाख इलाके में चिनूक भी अपने काम में जुटा रहा. इन दोनों विमानों को खास तौर पर आपूर्ति के लिए तैयार किया जा रहा है. अगर चीन से युद्ध जैसी स्थिति बनती है तो जरुरी सामानों की आपूर्ति के लिए ये हमेशा तैनात रहेंगे. चिनूक हेलीकॉप्टर की ताकत इतनी है कि इसमें एक बार में गोला बारूद, हथियार के अलावा सैनिक भी जा सकते हैं.

चिनूक को रडार से पकड़ पाना भी मुश्किल है. चिनूक भारी मशीनों और तोपों को भी उठाकर ले जा सकता है. 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ने वाला चिनूक हेलीकॉप्टर 280 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ता है, जबकि इसकी ऊंचाई 18 फीट और चौड़ाई 16 फीट है. चिनूक हेलीकॉप्टर को दो पायलट उड़ा सकते हैं. इस हेलिकॉप्टर का 26 देशों में इस्तेमाल किया जाता है.

आज ग्लोबमास्टर को लेह एयरबेस में लैंड कराया गया. बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर विश्व के बड़े मालवाहक जहाजों में से एक है. ग्लोबमास्टर कारगिल, लद्दाख और अन्य उत्तरी और उत्तर पूर्वी सीमाओं जैसे कठिन जगहों पर आसानी से उतर सकता है.

लैंडिंग में परेशानी होने की स्थिति में इसमें रिवर्स गियर भी दिया गया है. विमान चार इंजनों से लैस है. 81वीं स्क्वार्डन के ग्रुप कैप्टन को ‘गोल्डन की’ देकर विमान को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. इस स्क्वार्डन को स्काईलॉर्ड्स नाम दिया गया है.

भारत और चीन के बीच मई के बाद से ही संबंध कड़वाहट भरे हो चुके हैं. चीन चाहता है कि वो अपने सैन्य पराक्रम को दिखाकर भारतीय इलाके में कब्जा कर सके लेकिन हर बार उनको मायूसी हाथ लग रही है. एलएसी पर भारतीय सेना पूरी तरह से तैयारी में जुटी हुई है. भारतीय वायुसेना का बोइंग सी-17 ग्लोबमास्टर भी लद्दाख में तैनात है.