चीन ने सीईपीसी प्रोजेक्ट में 60 बिलियन डॉलर का निवेशा किया और बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव जैसे प्रोजेक्ट्स इसका हिस्सा है। इस प्रोजेक्ट के तहत आने वाले ग्वादर पोर्ट को वह सबसे अहम मानता है।
यह बंदरगाह पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित बलूचिस्तान का हिस्सा है। बलूचिस्तान में इस समय बड़े स्तर पर पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। इन सभी घटनाक्रमों को देखते हुए चीन ने फैसला किया है .
वह दो ड्रोन सिस्टम को पाक को सप्लाई करेगा। हर सिस्टम में दो ड्रोन और एक ग्राउंड स्टेशन है। चीन ने पाकिस्तान के साथ मिलकर 48 GJ-2 ड्रोन तैयार करने की योजना बनाई है। यह विंग लूंग II ड्रोन का मिलिट्री वर्जन है जिसे डिजाइन तो चीन में किया गया है मगर इसका प्रयोग पाकिस्तान एयरफोर्स करती ह
भारत के साथ लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर जारी टकराव के बीच ही चीन ने पाकिस्तान को चार अटैक ड्रोन से लैस करने का मन बनाया है।
चीन का मकसद इन ड्रोन की मदद से चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीईपीसी) की रक्षा करना है। साथ ही पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी नेवी का एक नया बेस ग्वादर पोर्ट पर है।
चीन नहीं चाहता है कि इस पोर्ट पर या उसके कॉरिडोर प्रोजेक्ट को जरा भी आंच आए। यह ताजा घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब पिछले दिनों कराची स्टॉक एक्सचेंज पर आतंकी हमला हुआ था जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी।