उपेंद्र कुशवाहा के पार्टी छोड़ने के बाद जेडीयू ने किया ऐसा, तेजस्वी यादव को लेकर…

पेंद्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़कर नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने के साथ ही बिहार की सियासत अहम बदलाव की ओर बढ़ रही है। उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश का साथ क्या छोड़ा, जेडीयू अपने सहयोगी राजद के युवराज तेजस्वी यादव को लेकर अपनी नीति में फेरबदल करती दिख रही है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी के बयानों से तो ऐसा ही लगता है।

ललन सिंह ने कहा कि कुशवाहा ने कर्पूरी जी के किस विचार को आगे बढ़ाया? उन्होंने उपेंद्र कुशवाहा पर पलटवार करते हुए कहा कि कर्पूरी ठाकुर के किस विचार को आजतक उपेंद्र कुशवाहा ने आगे बढ़ाया? कर्पूरी के विचारों को न सिर्फ आगे बढ़ाया है बल्कि उसके अनुरूप कार्यों को धरातल पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उतारा है। उपेंद्र कुशवाहा अपनी विचारधारा की बात करें। 2015 के विधानसभा चुनाव में, 2010 के चुनाव में वे कहां थे? कुशवाहा के आरोप पर कहा कि मुख्यमंत्री सुनते सबकी है, करते अपने मन की हैं।

उधर, जेडीयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि नीतीश कुमार 2030 में भी नेतृत्व देने में सक्षम हैं। 2025 की बात छोड़ दीजिए। उनका स्वास्थ्य ठीक है और उनका राजनीतिक ग्राफ बढ़ा हुआ है। केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू मतलब नीतीश कुमार है और नीतीश कुमार जब तक अपने फर्ज का अच्छी तरह से संचालन कर रहे हैं, उनके नेतृत्व को कोई चुनौती नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने 2025 के नेतृत्व पर आए बयान को लेकर त्यागी ने कहा कि गठबंधन कराने में राष्ट्रीय अध्यक्ष की भूमिका रही है। इसलिए उनके द्वारा दिये गये बयान को सही माना जाए।

जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ललन ने कहा कि हम कभी बोले हैं क्या कि 2025 में मुख्यमंत्री का चेहरा तेजस्वी यादव होंगे? कहां का नेतृत्व? जब आएगा समय तब देखा जाएगा। अभी 2025 नहीं आया है, जब आएगा तब बात कीजिएगा। यह उस समय तय होगा। फिलहाल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं और राजद का अस्तित्व है। अभी 2024 की बात कीजिए। उन्होंने पत्रकारों के एक सवाल पर यह बात कही।

वहीं, पड़ोसी के घर में उत्तराधिकारी के सवाल पर ललन सिंह ने कहा कि अभी उत्तराधिकारी की बात कहां से आ गई। खुद नीतीश कुमार अभी हैं। राजद से डील के उपेंद्र के आरोप पर कहा कि वे ही बता सकते हैं कि क्या डील है और क्या वे समझ रहे थे। ललन सिंह ने एकबार फिर कहा कि जदयू का अस्तित्व रहेगा, किसी भी दल के साथ इसका विलय नहीं होगा।