यूपी के बाद अब इस राज्य मे जल्द आएगी जनसंख्या नियंत्रण नीति, तैयार हो जाए लोग

बिस्वा ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में जनसंख्या नियंत्रण विधेयक लाने की कोई योजना नहीं है। सरकार अल्पसंख्यक समुदाय के साथ गहन विचार-विमर्श के बाद ही इस संबंध में कोई फैसला लेगी।

 

बताते चलें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यक समुदाय के तकरीबन 150 से अधिक विद्वानों के साथ जनसंख्या नियंत्रण नीति पर चर्चा की थी।

उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक नेता भी इस बात पर सहमत हैं कि राज्य के कुछ हिस्सों में तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है, जिससे असम के विकास पर असर पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने जनसंख्या नियंत्रण कानून को समय की आवश्यकता बताते हुए आठ अलग-अलग समितियों का गठन किया है।यह समितियां स्वास्थ्य, शिक्षा, जनसंख्या नियंत्रण, सांस्कृतिक पहचान, वित्तीय समावेशन, महिला सशक्तिकरण और कौशल विकास के मुद्दों से जुड़ी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘हम सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए धीरे-धीरे दो बच्चों की नीति अपनाएंगे। आप इसे एक घोषणा मान सकते हैं। ऋण माफी हो या अन्य सरकारी योजनाएं, जनसंख्या मानदंडों को ध्यान में रखा जाएगा।

यह चाय बागान श्रमिकों/एससी-एसटी समुदाय पर लागू नहीं होगी। भविष्य में, जनसंख्या मानदंडों को सरकारी लाभों के लिए पात्रता के रूप में शामिल किया जाएगा। जनसंख्या नीति शुरू हो गई है। स्कूलों और कालेजों में मुफ्त नामांकन या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकान देने में इसे लागू नहीं किया जा सकता।’

शनिवार को मीडिया से बात करते हुए उन्होंने साफ किया कि सरकार ‘दो बच्चों की नीति’ को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में इसे लागू किया जाएगा।

यूपी के बाद अब असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने शनिवार को जनसंख्या नियंत्रण पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण नीति में जल्द ही फैसला ले सकती है। राज्य में दो से अधिक बच्चों के माता-पिता को सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित रखा जा सकता है। संभव है कि अगस्त महीने में जनसंख्या नियंत्रण नीति पर अधिसूचना जारी हो।