इस फिल्म के बाद हर भारतीय कहेगा-‘ये दिल मांगे मोर’

‘तिरंगा लहरा कर आऊंगा, नहीं तो उसमें लिपट कर आऊंगा.’ ये सुनते ही आपके रोंगटे खड़े होने जाएंगे! अमजेन प्राइम पर फिल्म ‘शेरशाह’ (Shershaah) रिलीज हो गई है. फिल्म में शुरुआत से ही फौजी के रुतबे और देशप्रेम पर फोकस किया गया है. फिल्म के निर्देशक विष्णुवर्द्धन ने पहली बार हिंदी फिल्म बनाई है. इससे पहले उन्होंने साउथ की फिल्में डायरेक्ट की थीं. निर्माता करन जौहर की फिल्म ‘शेरशाह’ कारगिल युद्ध (1999) के परमवीर चक्र विजेता शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा के जीवन पर आधारित है. कहानी शुरू होने से पहले डिस्क्लेमर में साफ कर दिया गया है कि इसे एकदम सटीक कहानी न माना जाए. ये कहानी उनके जीवन की रोचक घटनाओं से प्रेरित है.

कारगिल युद्ध पर इससे पहले भी कई फिल्में बनी हैं, लेकिन इस फिल्म में कारगिल युद्ध से ज्यादा शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा की कहानी पर फोकस किया गया है, जो कि फिल्म के टाइटल के हिसाब से भी सही है. ये फिल्म पुरी तरह से विक्रम बत्रा के व्यक्तित्व को दिखाती है. ‘शेरशाह’ (Shershaah) में दिखाया गया है कि कैसे विक्रम ने अपनी बहादुरी और चपलता से 16 हजार से 18 हजार फीट ऊंची ठंडी-बर्फीली चोटियों पर चढ़कर पाकिस्तानी सैनिकों को परास्त किया.

विक्रम बत्रा की दृढ़ता, देश के प्रति प्यार, कुछ कर गुजरने का हौसला फिल्म में दिखाए सीन्स में साफ नजर आता है. ‘शेरशाह’ देशभक्ति से ओत-प्रोत है और फिल्माए गए कई सीन्स हर राष्ट्रभक्त की आंखों में आंसू ले आएंगे. एक साथ पूरी की पूरी बटालियन का चलना, जान जोखिम में डालकर दूसरे देश की फौज से टकराना और गोलियों की गड़गड़ाहट आपके रोंगटे खड़े कर देगी. फिल्म देखने के बाद आपके अंदर भी हलचल होना तय है.