चीन की सरकार को सलाह देते हुए कहा है कि अमेरिका से टकराना चीन के लिए ठीक नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका पास दुनिया में सबसे शक्तिशाली हथियार हैं।
ऐसे में चीन को अपने न्यूक्लियर हथियारों के स्टॉक को बढ़ाना होगा। हू जिजिन ने यह बयान ऐसे समय पर दिया है, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन को हथियार नियंत्रण संधि में शामिल होने के लिए अपने आह्वान को दोहराया है।
ग्लोबल टाइम्स चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी का आधिकारिक अखबार है, जो पीपल्स डेली द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
अखबार को पार्टी के विचारों को सार्वजनिक भावनाओं को निर्देशित करने के लिए जाना जाता है, जो अन्य देशों से जुड़े मुद्दों पर एक राष्ट्रवादी रुख अपनाने की कोशिश करता है।
संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच पहले से व्यापार युद्ध चल रहा है। यह तनाव कोरोनो वायरस महामारी की उत्पत्ति के बाद दोनों देशों के बीच शुरू हुए जुबानी जंग के बाद और ज्यादा बढ़ गया है।
हू ने अपने एक वीबो पोस्ट में लिखा, ‘हम शांति पसंद करते हैं और पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करने का वादा करते हैं। लेकिन हमें अमेरिका की रणनीतिक महत्वाकांक्षा और चीन के खिलाफ आवेग को दबाने के लिए एक बड़े परमाणु शस्त्रागार की जरूरत है।’
हू ने कहा कि इस रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार ‘कम से कम 100 DF-41 मिसाइलें’ हमारे पास होनी चाहिए, जोकि संयुक्त राज्य अमेरिका की मिसाइलों की एक नवीनतम श्रेणी को टक्कर दे सकें।
कोरोना वायरस को लेकर अमेरिका, चीन पर हावी दिखाई दे रहा है। बीते रोज डब्लूएचओ के बयान से ट्रंप को और अधिक मजबूती मिल गयी है।
डब्लूएचओ ने कहा है कि वायरस चीन के वुहान से ही निकला है। ट्रंप का साफ कहना है कि चीन ने लैब में कोरोना का बनाया है और वह इसकी जांच भी करा रहे हैं।
हालांकि बात यहीं तक होती तो ठीक था, लेकिन ट्रंप ने कदम आगे बढ़ाते हुए साउथ चाइन सी और हिंद महासागर में जंगी बेडे उतार दिए हैं।
जिसके बाद चीन की हवा निकल गई और उसके हितेषियों ने अमेरिका से निपटने के लिए युद्ध की तैयारियों के साथ-साथ परमाणु हथियारों पर काम करने की सलाह दी है।