असम के बक्सा जिले के किसानों के साथ ही सिविल सोसायटी के लोगों ने भी भूटान के इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कई घंटे तक रोंगिया और भूटान की सड़क को भी जाम करके रखा। इन सभी लोगों ने केंद्र सरकार से मांग की कि सरकार भूटान से इस मसले पर बातचीत करके लोगों के लिए इसका समाधान निकाले।
भूटान ने बड़ा कदम उठाते हुए असम में भारतीय किसानों को अपनी नदियों का पानी इस्तेमाल करने से रोक दिया है। 1953 के बाद से ही असम के बक्सा और अन्य जिलों के किसान भूटान से आने वाले सिंचाई के पानी का इस्तेमाल करके धान की खेती करते रहे हैं।
अब भूटान के इस कदम से असम के करीब 25 गांवों के लोगों के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है। इन किसानों में भूटान के खिलाफ गुस्सा फूटा और गुरुवार को उन्होंने प्रदर्शन किया।
कोरोना वायरस के कारण भूटान में विदेशी नागरिकों का प्रवेश वर्जित कर दिया गया है। ऐसे में भारत-भूटान सीमा पर स्थित समद्रूप जोंगखार क्षेत्र में जाकर काला नदी के पानी को सिंचाई के लिए खेतों में लाते हैं।
लेकिन किसानों को अनुमति देने से भी वंचित कर दिया गया है। विरोध में किसानों ने कहा कि अगर सभी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है तो पानी को सिंचाई के लिए नहर में डाला जा सकता है।
चीन भारत की सीमा पर विवाद चल ही रहा है, वहीं नेपाल ने हाल ही में अपना नया नक्शा जारी कर भारत के तीन क्षेत्रों को अपना हिस्सा बता दिया। इन दोनों देशों के बाद अब एक और पड़ोसी देश भारत के लिए मुश्किल खड़ी कर रहा है। यह देश है भूटान। भूटान ने अब भारत के असम की ओर आने वाले उसकी नदियों का सिंचाई का पानी रोक दिया है।
उसके इस कदम से असम के बक्सा जिले के किसान परेशान हैं। अब उन्हें खेती करने में आ रही समस्या के कारण उन्होंने कड़ा विरोध जताया और प्रदर्शन किया। बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने इस पर चिंता व्यक्त की है।