आखिरकार किसानों ने उठाया ये बड़ा कदम, देख सरकार के छूटे पसीने, बढ़ सकती हैं मुश्किलें

इससे पहले, किसान नेता राकेश टिकैत ने भी कहा था कि सरकार 15 में से 12 संशोधनों के लिए तैयार है, जिसका मतलब था कि कानून में खामियां थीं, लेकिन कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि कोई भी कानून गलत नहीं था अगर किसी किसान संगठन ने विरोध किया। इसलिए इसे बदला जा सकता है।

किसान संगठनों का कहना है कि केंद्र सरकार की ज़िद के कारण किसानों के लिए कोई विकल्प नहीं है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब केंद्र सरकार मौजूदा कृषि क़ानून में संशोधन के लिए तैयार है तो कानून को वापस लेने का क्या मतलब है।

भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलबीर एस राजेवाल का कहना है कि 12 दिसंबर को हम दिल्ली-जयपुर राजमार्ग को अवरुद्ध करेंगे, 14 दिसंबर को हम डीसी कार्यालयों के सामने, भाजपा नेताओं के आवासों और रिलायंस और अडानी टोल प्लाजा के सामने धरना देंगे। आने वाले किसानों की संख्या बढ़ रही है।

किसान अब कृषि कानून के मुद्दे पर लड़ने के मूड में हैं और इसकी तैयारी भी कर रहे हैं। किसान संगठनों का कहना है कि वे अब मांग करते हैं कि सरकार काला कानून वापस ले। संशोधन किसी को भी स्वीकार्य नहीं है।