18 साल के बाद भारत और पाकिस्‍तान के बीच हुआ ये, देखता रह गया चीन

इस बार भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्धविराम समझौता बालाकोट एयरस्‍ट्राइक के दो साल पूरा होने के मौके पर हुआ है. जब दोनों देशों के बीच पहली बार युद्धविराम हुआ था तो वह ईद का मौका था.

 

उस समय भारत के विदेश मंत्रालय की ओर बयान जारी किया गया. बयान में कहा गया कि युद्धविराम को एक हफ्ते चली मीटिंग के बाद अंतिम रूप दिया गया है.

18 साल पहले आधी रात को भारत और पाकिस्‍तान के बीच युद्धविराम लागू हुआ. इसका मकसद एलओसी पर 90 के दशक से जारी गोलीबारी को बंद करना था. उस समय लॉस एंजिल्‍स टाइम्‍स ने लिखा था कि अमेरिका और यूरोप के दबाव में आकर भारत और पाकिस्‍तान दोनों युद्धविराम पर राजी हुए हैं.

जब यह युद्धविराम समझौता लागू हुआ तब तक भारत में कश्‍मीर में आतंकवाद नए सिरे पर पहुंच चुका था और दोनों देश कारगिल की जंग का सामना कर चुके थे जिसमें पाक को मुंह की खानी पड़ी थी.

दोनों देशों के बीच 25 नवंबर 2003 की आधी रात से युद्धविराम लागू हुआ था. युद्धविराम किसी भी युद्ध को अस्‍थायी तौर पर रोकने को जरिया होता है. इसके तहत हुए समझौते में दोनों पक्ष सीमा पर आक्रामक कार्रवाई न करने का वादा देते हैं.

युद्धविराम को आप दो देशों के बीच हुई एक औपचारिक संधि मान सकते हैं. साथ ही इस समझौते के तहत दो देशों के सेनाओं के बीच भी एक अनौपचारिक समझौता होता है. युद्धविराम बॉर्डर पर लड़ाई को खत्‍म करने के समझौते से कहीं ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण होता है. एक सफल युद्धविराम कभी-कभी शांति समझौते में तब्‍दील हो सकता है.

भारत और पाकिस्‍तान के बीच 3,323 किलोमीटर का लंबा बॉर्डर है जिसमें 221 किलोमीटर इंटरनेशनल बॉर्डर (IB) और 740 किलोमीटर एलओसी है. भारत और पाकिस्‍तान ने वर्ष 2003 में एलओसी पर पहली बार एक औपचारिक युद्धविराम का ऐलान किया था.

इस समझौते का अमेरिका और संयुक्‍त राष्‍ट्र (UN) दोनों ने ही स्‍वागत किया है. भारत और पाक दोनों ही हॉटलाइन कॉन्‍टैक्‍ट के जरिए संपर्क बहाली पर राजी हुए हैं. जानिए क्‍या होता है यह युद्धविराम समझौता और क्‍या था साल 2003 में हुआ वह समझौता जो पाकिस्‍तान ने हर बार तोड़ता आया है.

गुरुवार यानी 25 फरवरी 2021 को भारत और पाकिस्‍तान की तरफ से एक साझा बयान जारी कर कहा गया है कि दोनों देश लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर साल 2003 के युद्धविराम समझौते (Ceasefire Agreement) का पालन करेंगे.

पाकिस्‍तान इस बार इस समझौते को कितना मानता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा. उसकी मंशा पर हमेशा से भारत को आशंका रहती है.