अफगानिस्तान में बढ़ा संकट, तालिबान ने अपनाई यह रणनीति

अफगानिस्तान में तालिबान की हिंसा बेरोकटोक जारी है। तालिबान ने एक बच्ची को बुर्का न पहनने के लिए मौत का घाट उतार दिया है। पिछले ही हफ्ते तालिबान ने मशहूर अफगान कॉमेडियन की हत्या कर दी थी। अब तालिबान ने अफगानिस्तान के प्रसिद्ध कवि और इतिहासकार अब्दुल्ला आतिफी की हत्या कर दी है।

हालांकि तालिबान के वार्ताकार सुहैल शाहीन ने रॉयटर्स को बताया कि हम अफगानिस्तान के ग्रामीण इलाकों पर नियंत्रण हासिल कर वहां इस्लामी शरिया लागू करने की अपनी नीति जारी रखे हुए है। शहरों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय अभी यह हमारा मुख्य फोकस है।

विशेषज्ञों ने बताया है कि जुलाई से तालिबान की रणनीति में बदलाव नज़र आ रहा है। मुख्य सबूत शहरी सीमा का उल्लंघन है। लड़ाई अब किसी इलाके तक सीमित नहीं है। ईद के बाद से तालिबान ने हमले तेज किए हैं।

एक तालिबान कमांडर ने नाम न छापे जाने की शर्त पर रॉयटर्स को बताया है कि जब अमेरिका अपने वादे पूरे नहीं कर रहा तो तालिबान पर समझौते का पालन करने का दवाब क्यों बनाया जा रहा है? कमांडर ने आगे बताया है कि हमने कांधार, हेरात और हेलमंद पर कब्ज़ा करने का फैसला किया है। हमारी प्राथमिकता कंधार और हेरात के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों पर कब्जा करना है। इसके बाद हम कुंदुज और खोस्त जैसे प्रदेश की ओर बढ़ेंगे।

अमेरिका के बढ़ते हवाई हमलों के जवाब में तालिबान प्रांतीय शहरों में हमले तेज कर रहा है। रॉयटर्स ने तालिबान कमांडर से हवाले से बताया है कि तालिबान जल्द ही और शहरों पर कब्ज़े की तैयारी में हैं।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि कांधार और हेरात जैसे शहरों पर तालिबान का कब्ज़ा अफगान सरकार के लिए बड़ा झटका होगा। अगर तालिबान कांधार और हेरात जैसे शहरों पर कब्ज़ा कर लेता है तो तालिबान के लिए काबुल की राहें आसान हो सकती हैं।