किसानों के लिए जारी हुई ये एडवाइजरी , जानिए सबसे पहले , वरना हो जायेंगे परेशान

मुंह पर हमेशा मास्क लगाकर रखें. पशुओं में खुरपका, मुंहपका, गलघोटू एवं ब्लेक क्वार्टर रोग से बचाव के लिये टीका लगवायें.  पशुओं को पिलाने के लिये पीने का ताजा-ठंडा पानी हमेशा उपलब्ध रखें. पशुओं का दिन में चार बार पानी पिलायें.

पशुओं को चारा सुबह-शाम ठण्डे मौसम में खिलायें और पशु आहार में खनिज लवण तथा नमक की आपूर्ति करें. केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र सिंह ने इसके साथ ही किसानों का यह सलाह भी दी है कि वे मृदा परीक्षण के लिए मिट्टी के नमूने लेकर अपने क्षेत्र के कृषि पर्यवेक्षक के माध्यम से प्रयोगशाला में भिजवायें.

खेती कार्य में स्वयं के औजारों का उपयोग करें.- एक-दूसरे के साथ मिलकर धूम्रपान नहीं करें. पीने के लिए पानी व गिलास स्वयं का साथ ले जाएं.खेतों में पर्याप्त मात्रा में साबुन, डिटर्जेंट और पानी रखें.

दोपहर का आराम किसी कमरे, झोपड़ी, पेड़ के नीचे या खेतों में एक-दूसरे के नजदीक नहीं करें. हमेशा एक-दूसरे से कम से कम 6 फीट की दूरी बनाये रखें. यदि किसी को खांसी, सिरदर्द, बदन दर्द, सर्दी और बुखार के लक्षण हों तो तुरंत नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें.

किसानों को सलाह दी गई है कि वे वैश्विक महामारी के दौरान गाइडलाइन की पालना करते हुए कृषि कार्य करें. लेकिन कुछ अहम बातों का गंभीरता से पालन करें.

कृषि विज्ञान केन्द्र कोटा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र सिंह ने कृषकों को सलाह दी कि वे खेत में इस्तेमाल किए गए कपड़े धो लें और धूप में सूखने दें. उन्हें दोबारा 48 घंटों के बाद ही इस्तेमाल करें. दूसरे दिन वही कपड़े नहीं पहनें.

कोरोना काल (Corona period) में बंदिशें झेल रहे किसान अब खरीफ फसल (Kharif crop) की तैयारी के लिए खेतों का रुख करने लगे हैं. लेकिन प्रदेश में ग्रामीण इलाकों में महामारी जिस तरह से पैर पसार रही है .

उसमें किसानों (Farmers) के लिये खेती भी जोखिम का काम हो गया है. खेती के दौरान कोरोना महामारी से कैसे बचाव करना है इसके लिये कृषि विज्ञान केन्द्र कोटा ने किसानों के लिये एडवाइजरी जारी (Advisory) की है.