धूम्रपान बना एक समाजिक अभिशाप,जिसे हटाने के लिए सिनेमा ने किया यह बड़ा प्रयास

भारत दिन रोजाना तरक्की के मार्ग पर अग्रसर हो रहा है, लेकिन उसी के साथ ही देश में युवाओ की स्थिति चिंता का विषय बनती जा रही है किसी समय बच्चे अपने परिवार से हर अच्छी बुरी वस्तु सिखते थे लेकिन अब युवाओ ने सिनेमा के कलाकारों को अपना मार्गदर्शक बना लिया है अपने दोस्तो  परिचितो की होड़ करने के चक्कर में देखते ही देखते बूरी आदतो के शिकार हो जाते है अपने पंसदीदा कलाकारों की तरह सिगरेट पकड़ कर धूम्रपान करते है लेकिन वे यह नही जानते की यह सब उनके ज़िंदगी को अंधकार की तरफ ले जा रहा है पर्दे पर कोई कालेज जीवन से जुड़ी फिल्म आती है तो फिल्म में जिस तरह से कलाकार अपनी कालेज जीवन में व्यसन करते है, उसे देखकर युवा पीड़ी को लगता है कि ऐसी ही कालेज जीवन होती है परिणामस्वरूप उसे फालो करते है

जैसे-जैसे लोग धूम्रपान को एक सामाजिक अभिशाप की तरह ले रहे है, वैसे ही फिल्मो में धूम्रपान को एक सकारात्मक रूप से दिखाया जा रहा है तंबाकू कंपनियां एडवरटाईजमेंट पर लाखों खर्च करती हैं  अगर अभी की बात करे तो तम्बाकू के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए फिल्मों, टीवी,  अन्य मीडिया को ही जिम्मेदार ठहराया जा सकता है बहुत सारे ऐसे भी शोध हुए हैं, जो टीवी या फिल्मों  बच्चों में धूम्रपान के बीच की कड़ी को जोड़ते हैं, जिसके कारण इस मामले का सामना करने के लिए बहुत सारी कार्रवाई हुई है एक शोध के अनुसार, जो युवा फिल्मों में अभिनेताओं को धूम्रपान करते हुए देखते हैं, उनमे सिगरेट पिने की तीव्र ख़्वाहिश भी जाग्रत होती है बच्चे फिल्मों  टीवी से कभी प्रभावशाली होते हैं,  अक्सर वे जो देखते हैं उसका अनुकरण भी करते हैं कई फिल्मों में तंबाकू का उपयोग दिखाया जाता है, भले ही यह सीन फिल्म में किसी कार्य का नहीं होता है पर इनका उपयोग फिल्मों में तंबाकू कंपनियों के असर  धन के कारण किया जाता है

एक अध्ययन में पाया गया कि, फिल्मो में धूम्रपान दृश्य देखने के बाद 15 वर्ष के बच्चों में सिगरेट पीने की प्रयास कम से कम उजागर होने की आसार थी, उनके तुलना में जो वर्तमान में धूम्रपान करते हैं अध्ययन से पता चलता है कि 44 फीसदी किशोर जो धूम्रपान प्रारम्भ करते हैं, वे फिल्मों में धूम्रपान की दृश्य के कारण प्रारम्भ करते है फिल्मों  युवा धूम्रपान व्यवहार में धूम्रपान की दृश्य के बीच एक स्पष्ट संबंध है,  हाल के सालों में ऑन-स्क्रीन तंबाकू की दृश्य में कमी ने उसी अवधि में युवा धूम्रपान करने वालों के घटते फीसदी में सहयोग दिया होने कि सम्भावना है

शोधकर्ताओं का बोलना है कि अन्य राष्ट्रों के पिछले शोधों से भी पता चला है कि धूम्रपान का रवैया  किशोरों का व्यवहार फिल्मों में देखी गई धूम्रपान से प्रभावित होता है इससे मुकाबला करने के लिए, सार्वजनिक स्वास्थ्य समूह फिल्मों से तंबाकू का उपयोग ना करने के लिए मूवी मेकर्स से आग्रह करने के लिए मिलकर कार्य कर रहे हैं इसी के तहत, सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने फिल्म निर्माताओं के लिए कुछ नियम पेश किए थे जो कुछ इस प्रकार है

जिन दृश्यों में दारू पीने के औचित्य या महिमामंडन का असर होता है उन्हें नहीं दिखाया जाएगा ग्लैमरस ड्रग की लत को प्रोत्साहित करने या दर्शाने वाले दृश्य नहीं दिखाए जायेंगे तम्बाकू या धूम्रपान के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए या ग्लैमराइज़ करने वाले दृश्यों को नहीं दिखाया जाएगा हालाँकि, इन नियमों के आने के बाद भी फिल्मो में धूम्रपान के दृश्य दिखाना फिल्म मेकर्स के लिए आम बात हो गयी है अब सिर्फ ये देखना बाकि रह गया है कि क्या इस तरह के नियम धूम्रपान को कम करने में कितने सार्थक सिद्ध होते है