केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि एनआरसी (भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) में भारत के सभी लोगों को शामिल किया जाएगा। चाहे फिर वो किसी भी धर्म के हों। ये नागरिकता संशोधन बिल से अलग है। बता दें शीत सत्र का आज तीसरा दिन है।
उन्होंने कहा, ‘हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को नागरिकता मिल जाएगी। इसलिए ही तो बिल संशोधित करने की जरूरत थी। ताकि जिन शरणार्थियों को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के कारण भेदभाव का सामना करना पड़ता है, उन्हें भारतीय नागरिकता मिल सके।कोई भेदभाव नहीं
एनआरसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो कहता है कि इसके तहत किसी अन्य धर्म को नहीं लिया जाएगा। भारत के सभी नागरिक चाहे वे किसी भी धर्म के हों, एनआरसी सूची में शामिल होंगे। एनआरसी नागरिकता संशोधन विधेयक से अलग है।’
ट्रिब्यूनल जाने का पूरा अधिकार
गृहमंत्री ने कहा कि जिन लोगों का नाम एनआरसी में नहीं है उनके पास ट्रिब्यूनल जाने का पूरा अधिकार है। पूरे असम में ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा। अगर किसी व्यक्ति के पास ट्रिब्यूनल के पास जाने के लिए पैसा नहीं है, तो असम सरकार वकील के लिए भी लागत वहन करेगी।