भारत व चाइना के बीच अनौपचारिक बातचीत के लिए आगामी अक्टूबर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिंदुस्तान आने वाले हैं। के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद ये चाइना के साथ पहली अनौपचारिक बातचीत होगी।
मिली ख़बरों के मुताबिक इस समिट के लिए प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को चुना है। जिनपिंग व मोदी के बीच ये बातचीत 11 अक्टूबर को वाराणसी में हो सकती है।
क्यों चुना वाराणसी को?
अंग्रेजी अखबार भारतीय एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंदुस्तान की तरफ से इस बातचीत को वाराणसी में आयोजित करने के लिए चीनी सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है।चीनी सरकार ने इस पर सहमति नहीं दी है लेकिन उन्हें ये प्रस्ताव बेहद पसंद आया है। बता दें कि 27-28 अप्रैल 2018 में मोदी व जिनपिंग ने चाइना के वुहान प्रांत में दो दिन बिताए थे। हालांकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड में इस प्रस्ताव को पेश कर दिया गया है।
वाराणसी को ही इसलिए चुना गया क्योंकि मोदी चाहते थे कि चीनी राष्ट्रपति भी उनके संसदीय क्षेत्र का दौरा करें। जिनपिंग भी मोदी को शीमेन प्रान्त का दौरा कराया था जहां करीब 30 वर्ष पहले उन्होंने बतौर कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यालय बैरियर राजनीतिक ज़िंदगी की आरंभ की थी। बताते चलें कि मोदी ने भी वर्ष 2014 में अपने गृह प्रदेश गुजरात के अहमदाबाद में जिनपिंग के साथ वक़्त बिताया था व वर्ष मई 2015 में जिनपिंग ने फिर मोदी को उनके गृह प्रदेश शांशी प्रोविंस की राजधानी शियान का दौरा कराया था।
जून में भी होगी मुलाक़ात
बता दें कि अक्टूबर से पहले जिनपिंग व मोदी की मुलाक़ात शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) सम्मेलन के दौरान किर्गिस्तान के बिश्केक में होने जा रही है। SCO सम्मलेन 13 से 14 जून को बिश्केक में आयोजित किया जाएगा व जिनपिंग ही नहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ भी मोदी की द्विपक्षीय बातचीत होगी।
इस दौरान मोदी की पाकिस्तानी पीएम इमरान खान से भी मुलाक़ात हो सकती है। हालांकि हिंदुस्तान स्पष्ट कर चुका है कि इमरान से मिलने का अभी तक कोई प्लान नहीं है। हालांकि आधिकारिक सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि एक अनौपचारिक वार्ता हो सकती है, लेकिन इसमें मुद्दों पर चर्चा होगी ऐसा होना नामुमकिन ही है।