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बताया जा रहा है कि यह एशिया का दूसरा जबकि हिंदुस्तान का सबसे लंबा रेल सह रोड पुल है.
आइये आपको बताते हैं इस पुल से जुड़ी कुछ खास बातें-
इस पुल को चाइना के साथ लगती सीमा पर रक्षा साजो-सामान के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन माना जा रहा है. इस पुल की लंबाई 4.94 किलोमीटर है. यह पुल असम के डिब्रूगढ़ को धीमाजी से जोड़ेगा.
यह पुल 1987 के असम संधि का भाग है. इस पुल की आधारशिला 1997 में तत्कालीन पीएम एचडी देवगौड़ा ने रखी थी. हालांकि इसका निर्माण काम 2002 में अटल गवर्नमेंट में प्रारम्भ किया गया.
हिंदुस्तान व चाइना के बीच 4000 किलोमीटर की सीमा है ऐसे में यह पुल इंडियन सेना की गतिविधियों में मददगार साबित होगा.
पुल के निर्माण में पांच हजार नौ सौ करोड़ की लागत आई है व यह 120 वर्षों तक निरंतर सेवा दे सकता है.
एशिया के इस दूसरे सबसे बड़े पुल में सबसे ऊपर एक तीन लेन की सड़क है व उसके नीचे दोहरी रेल लाइन है. यह पुल ब्रह्मपुत्र के जलस्तर से 32 मीटर की ऊंचाई पर है. इसे स्वीडन वडेनमार्क को जोड़ने वाले पुल की तर्ज पर बनाया गया है.
यह पुल डिब्रूगढ़ से 17 किमी की दूरी पर है. यहां से सबसे नजदीकी सड़क पुल 225 किमी जबकि सबसे नजदीकी रेल पुल 560 किमी दूर है. ऐसे में यह पुल लोकल लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
बोगीबील पुल भूकंप प्रभावित एरिया में बना है. यहां रिक्टर पैमाने के 7 स्केल तक का भूकंप आता रहा है. इस पुल को भूकंपरोधी बनाया गया है जो 7 तीव्रता से ज्यादा के भूकंप में भी धराशायी नहीं होगा.
अभी डिब्रूगढ़ से अरुणाचल प्रदेश जाने के लिए आदमी को गुवाहाटी होकर जाना होता है व उसे 500 किलोमीटर से अधिक दूरी तय करनी होती है. इस पुल के निर्माण से से यह यात्रा अब 100 किलोमीटर से कम रह जाएगी.
यह पुल अरुणाचल में बॉर्डर के समीप हिंदुस्तान यातायात सुगम बनाने के प्रोजेक्ट का भाग है. इसमें ब्रह्मपुत्र के उत्तरी छोर पर ट्रांस अरुणाचल हाईवे व नदी के ऊपर नया रेल व रोड लिंक का निर्माण शामिल है.