अदालत ने बोला कि तुलसीराम प्रजापति की मर्डर एक साजिश के तहत किए जाने का आरोप हकीकत नहीं है। सरकारी मशीनरी व अभियोजन पक्ष ने बहुत कोशिशें की है। मामले में 210 गवाह पेश किए गए हैं, लेकिन पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए व गवाह भी अपनी गवाही से पलट गए। यदि गवाह बयान नहीं देते हैं तो इसमें अभियोजक की कोई त्रुटि नहीं है।
आपको बता दें कि साल 2005 के इस मामले में 22 लोग आरोपों का सामना कर रहे थे, जिनमें ज्यादातर आरोपी पुलिसकर्मी थे। यहां की एक विशेष CBI न्यायालय द्वारा इस मामले की सुनवाई की जा रही थी। इस मामले पर विशेष नज़र इसलिए भी रही थी, क्योंकि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी आरोपियों की सूची में शामिल थे। हालांकि, न्यायालय द्वारा 2014 में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया था। इस घटना के दौरान अमित शाह गुजरात के गृह मंत्री थे।