भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर विमल जालान ने मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल को मिला-जुला बताते हुए रविवार को कहा कि रुपए में गिरावट और लगातार बढ़ रही गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) चिंता का विषय बना हुआ है. गैर-आर्थिक मोर्चे पर जालान ने कहा कि देश अब भी खराब प्रशासन व्यवस्था, विभिन्न मुद्दों पर राज्यों में प्रदर्शन और गैर-धर्मनिरपेक्ष घोषणाओं जैसी समस्याओं का सामना कर रहा है.

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आर्थिक मोर्चे पर किए गए प्रयासों को लेकर पूर्व गवर्नर ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने जीएसटी, दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईसीबी) और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण योजना जैसे कई आर्थिक सुधार किए हैं, जो कि अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे हैं.

जालान ने बातचीत में कहा, “इस बात में कोई शक नहीं है कि हमारी आर्थिक वृद्धि दर सबसे तेजी से उभरते हुए बाजारों में से एक है; मुद्रास्फीति निचले स्तर पर है.”

जालान 2003 से 2009 तक राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य के संदर्भ में सतर्क रुख अपनाना चाहिए, क्योंकि यह ग्रामीण एवं अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में गरीब लोगों के लिए अनाज की खपत को भी प्रभावित करता है.

जालान ने रुपए की विनिमय दर में लगातार गिरावट पर कहा, “मैं यह नहीं कहूंगा कि रुपए की गिरावट चिंता का कारण है, क्योंकि असल में हमारे पास पर्याप्त संसाधन हैं, लेकिन पिछले कुछ महीनों से रुपए में गिरावट हमारे लिए चिंता का विषय बना हुआ है. हालांकि, उन्होंने इस ओर इशारा किया कि सरकार ने रुपए की गिरावट को थामने के लिए कुछ कदम उठाए हैं.

जालान नेने कहा कि एनपीए एक बड़ी समस्या है. साथ ही उन्होंने आशा व्यक्त की है कि सरकार के आईबीसी (दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता) पेश किए जाने से बड़े आकार के ऋणों का समाधान हो रहा है. रिजर्व बैंक की ओर से घोषित त्‍वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) भी एनपीए समस्या पर अंकुश लगाने में मदद करेगा. एयर इंडिया को लेकर उन्होंने कहा कि सरकारी विमानन कंपनी के निजीकरण में थोड़ा और समय लग सकता है.