नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों और केंद्र सरकार के बीच लगातार गतिरोध जारी है. अबतक दोनों पक्षों के बीच 11 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकल पाया है.
सरकार के अपने तर्क हैं तो किसानों की अलग दलील है. एसे में किसानों की बात मानी जाएगी या सरकार कानून को जारी रखेगी ये तो आने वाले समय में ही साफ हो पाएगा.
गौरतलू है कि बातचीत से पहले ही सरकार ने साफ कर दिया है कि कृषि कानून को खत्म नहीं किया जाएगा, उसमें बदलाव किया जा सकता है. इसके जवाब में किसान संगठनों और राकेश टिकैत का कहना है कि, सरकार बात करना चाहती तो करे लेकिन वो किसी शर्त से साथ वार्ता मेज पर न आये.
केंद्रीय कृषि मंत्री ने की आंदोलन खत्म करने की अपील: इससे पहले गुरूवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से अपना आंदोलन खत्म करने की अपील की थी. केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि किसान आंदोलन खत्म कर वार्ता शुरू करें. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री की अपील पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि, बातचीत शुरू करने की बात करना ठीक है, लेकिन वार्ता के लिए शर्त नहीं लगाई जानी चाहिए.
इस बीच किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने बयान को लेकर सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि, मैंने ये नहीं कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर हम संयुक्त राष्ट्र जाएंगे. राकेश टिकैत ने कहा कि हमने सिर्फ इतना कहा था कि 26 जनवरी के घटना की निष्पक्ष जांच होने चाहिए. उन्होंने कहा कि हमने कहा था कि, अगर यहां की एजेंसी जांच नहीं कर रही है तो क्या हम UN में जाएं?.
दिल्ली के विभिन्न बार्डर पर किसानों का आंदोलन (Farmers Protest) जारी है. नए कृषि कानूनों (3 Farm Laws) के खिलाफ किसानों अभी तक डटे हुए है. इसी कड़ी में एक बार किसान नेता राकेश टिकैट का नया बयान आया है.
उन्होंने कहा है कि, अगर कृषि कानून को लेकर भारत सरकार बातचीत करना चाहती है, तो हम भी तैयार हैं. उन्होंने कहा कि 22 जुलाई से संसद सत्र शुरू हो रहा है, उसी दिन से 200 किसान संसद के पास धरना देंगे.