उम्र के आधार पर अगर नए सदस्यों का विश्लेषण किया जाए तो दिसंबर 2020 महीने में सबसे ज्यादा जुड़ने वाले नए सदस्य 22-25 वर्ष के हैं जिसकी संख्या 3.36 लाख है। उसके बाद 18-21 वर्ष के लोग हैं.
राज्यों के पेरोल आंकड़ों की तुलना करने से पता चलता है कि महाराष्ट्र, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और कर्नाटक रोजगार रिकवरी चक्र में सबसे आगे बने हुए हैं और इन राज्यों में चालू वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान 53.70 लाख में से 29.12 लाख शुद्ध ग्राहक जोड़कर सर्वाधिक बढ़ोतरी हुई है।
उद्योग-वार विश्लेषण दर्शाता है कि ‘विशेषज्ञ सेवाओं की श्रेणी (जिसमें मुख्य रूप से मैनपावर एजेंसियां, निजी सुरक्षा एजेंसियां और छोटे ठेकेदार शामिल हैं) सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है। टॉप-10 उद्योग श्रेणियों में 46.26 लाख कुल पेरोल में से, विशेषज्ञ सेवा श्रेणी ने अप्रैल से दिसंबर, 2020 तक सभी आयु समूहों में 26।94 लाख ग्राहकों का योगदान दिया।
जिनकी संख्या 2.81 लाख है। यह आयु-समूह स्वतंत्रता के एक महत्वपूर्ण चरण को दर्शाता है जो शैक्षणिक शिक्षा, सामाजिक और आर्थिक उत्पादकता के साथ-साथ कमाई की क्षमता के मामले में किसी व्यक्ति की क्षमता के लिए मंच तैयार करता है।
18-25 आयु वर्ग के सदस्यों को श्रम बाजार में नए रोजगार के रूप में देखा जा सकता है और दिसंबर- 2020 में इन नए सदस्यों द्वारा लगभग 49.19 फीसदी का योगदान दिया गया है।
ईपीएफओ ने 20 फरवरी 2021 को नए पेरोल आंकड़े जारी किए हैं। ईपीएफओ के मुताबिक दिसंबर-2020 में 12.54 लाख नए सदस्य संगठन से जुड़े हैं। नवंबर, 2020 की तुलना इस महीने के नेट उपभोक्ताओं में 44 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
पेरोल डेटा की साल दर साल तुलना करें तो दिसंबर 2020 में 24 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, जो ग्राहकों के संदर्भ में ईपीएफओ के लिए कोविड से पहले की स्थिति की वापसी प्रदर्शित करता है।
कोरोना महामारी होने के बावजूद, ईपीएफओ ने चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में लगभग 53.70 लाख नए सदस्य जोड़े हैं। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही की तुलना में तीसरी तिमाही के दौरान शुद्ध वेतन बढ़ोतरी के मामले में 22 फीसदी की मजबूत वृद्धि दर्ज की है।
दिसंबर-2020 माह में लगभग 8.04 लाख नए सदस्य ईपीएफओ में शामिल हुए हैं। लगभग 4.5 लाख कुल सदस्य बाहर निकल गए और फिर ईपीएफओ से जुड़ गए, जो ईपीएफओ द्वारा कवर किए गए प्रतिष्ठानों के अंदर सदस्यों द्वारा नौकरियों की अदला-बदली का संकेत देते हैं।
बाहर निकलने वाले सदस्यों का फिर से इसमें वापस आना इस बात का भी संकेत है कि भारत में कोविड-19 के सक्रिय मामलों में आ रही गिरावट के साथ ही सदस्य अपनी नौकरी पर वापस लौट रहे हैं।