नए कानून कृषि बाजारों, किसानों की जमीन और खाद्य श्रृंखला को कॉरपोरेट के हवाले कर देंगे.’ बयान में कहा गया है कि जब तक ये कानून रद्द नहीं कर दिए जाते हैं, तब तक मंडियों में किसान समर्थक बदलाव करने और किसानों की आय को दोगुना करने पर चर्चा करने की कोई गुंजाइश नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि हमारी दो शेष मांगों का कोई विकल्प नहीं है, जिसमें तीन कृषि कानूनों को निरस्त करना और एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी शामिल है.’
प्रदर्शन कर रहे किसान संघों में शामिल ऑल इंडिया किसान संघर्ष को- ओर्डिनेशन कमेटी ने बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार ने किसान नेताओं से कानूनों को निरस्त करने का विकल्प सुझाने की अपील की है जो असंभव है.
वरिष्ठ किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे की कदम के बारे में चर्चा के लिए शुक्रवार को एक और बैठक बुलाई है.
हालांकि, एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी और कृषि कानूनों को निरस्त करने वाले दो मुद्दों से पीछे हटने का कोई सवाल ही नहीं है. चढूनी ने कहा, ‘सरकार ने पराली जलाने (Stubble Burning) से संबंधित अध्यादेश में किसानों के खिलाफ दंडात्मक प्रावधानों को हटाने और बिजली कानून में प्रस्तावित संशोधन को रोकने की हमारी मांगों का निपटान कर दिया है.’
बुधवार को सरकार और किसान संघों के बीच छठे दौर की वार्ता लगभग पांच घंटे चली, जिसमें बिजली दरों में वृद्धि और पराली जलाने पर दंड को लेकर किसानों की चिंताओं को हल करने के लिए कुछ सहमति बनी.
गौरतलब है कि मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर एक महीने से ज्यादा समय से प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किया जाए.
दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन (Farmers Protest) कर रहे किसानों के बीच अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है. किसान नेताओं ने गुरुवार को कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के लिए कानूनी गारंटी और नए कृषि कानूनों (New Farm Laws) को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है. इससे एक दिन पहले केंद्र और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बातचीत हुई जिसमें दो विवादास्पद मुद्दों पर गतिरोध बना रहा.