जम्मू-कश्मीर के ताजा दशा की जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बोला कि पांच अगस्त को आर्टिकल 370 हटने के बाद से किसी भी शख्स की पुलिस फायरिंग में जान नहीं गई। दशा लगातार सुधार रहे हैं।
किसी भी थाने में कर्फ्यू नहीं है। दवाईयों की कोई कमी नहीं है। सभी स्कूल खुले हैं। सभी अस्पताल खुले हुए हैं। इंटरनेट सेवा जल्द बहाल होनी चाहिए लेकिन इसका निर्णय स्थानीय प्रशासन को लेना है। कश्मीर के सभी दफ्तर खुले हैं। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पत्थरबाजी में कमी आई है।
आंध्र प्रदेश से कांग्रेस पार्टी के सांसद टी सुब्रमामि रेड्डी ने पूछा कि कांग्रेस पार्टी में यदि सब सामान्य है तो फिर धारा 144 क्यों लगाई गई है? अमित शाह ने जवाब में बोला कि कुछ स्थानों में लागू किया गया है। कश्मीर के 195 थानों में धारा 144 नहीं लगाई गई है। इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने करने के मसले पर वहां के प्रशासन की उचित समय पर अनुशंषा के बाद ही फैसला लिया जाएगा। पड़ोसी देश की गतिविधियों व सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही फैसला करेंगे।
कांग्रेस के नेता अधीन नबी आज़ाद ने बोला कि 5 अगस्त के बाद स्कूल व कॉलेज सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। स्कूल खुले हैं लेकिन उपस्थिति कम है। स्वास्थ्य दूसरी सबसे बड़ी समस्या है। इंटरनेट सेवाएं बाधित हैं। अमित शाह ने जवाब देते हुए बोला कि आजाद साहब से मैं सहमत हूं कि इंटरनेट महत्वपूर्ण है। लेकिन अतीत पर यदि नजर डालें तो सारे देश भर में इंटरनेट 1995-96 में आया। कश्मीर में मोबाइल भाजपा सरकार ने 2003 में प्रारम्भ किया। 2002 से इंटरनेट की परमीशन दी गई। जहां तक देश की सुरक्षा का सवाल है, आतंकवाद के विरूद्ध जंग का सवाल है तब हमें कहीं न कहीं अहमियत तय करनी पड़ती है। जब उचित लगेगा तो इंटरनेट चालू कर दिया जाएगा।
पीडीपी नेता नज़ीर अहमद ने भी बच्चों की एजुकेशन व दवाईयों की उपलब्धता का मामला उठाया। अमित शाह ने बोला कि दवाईओं की कहीं कोई कमी नहीं। स्वास्थ्य सेवाएं भी पर्याप्त हैं। श्रीनगर में सितंबर-अक्टूबर में 7 लाख से ज्यादा OPD हुईं।
एनीसीपी नेता माजिद मेमन ने लॉ व ऑर्डर की स्थिति पर सवाल पूछा। अमित शाह ने बोला कि वहां पर स्थिति सामान्य ही है। देश व संसार में कई प्रकार की भ्रांतियां फैली हुई हैं। जहां तक कानून-व्यवस्था का सवाल है तो 5 अगस्त के बाद एक भी व्यक्ति की पुलिस फायरिंग से मृत्यु नहीं हुई है जबकि लोगों ने बोला था कि खून की नदियां बह जाएंगी। पत्थरबाजी में पिछले वर्ष की तुलना में कमी आई है। पिछले वर्ष इस तरह की 802 घटनाएं हुई थीं लेकिन इस बार 544 पत्थरबाजी की घटनाएं हुईं। सभी स्कूल खुले हुए हैं। 98 फीसदी से ज्यादा बच्चों ने भाग लिया। राशन, अनाज, पेट्रोल की व्यवस्था है। किसानों को कोई परेशानी है तो नाफेड ने व्यवस्था की है।