94 दिन बाद इस बात के लिए मजबूर हुआ चीन, करने जा रहा आज रात…

कुछ हफ्तों पहले चीन की सरकार ने गलवान घाटी में मारे गए चीनी जवानों के परिवारों को कहा कि वे इनका अंतिम संस्कार न करें न ही कोई निजी समारोह आयोजित करें. चीन की सरकार ऐसा करके गलवान घाटी में हुई घटना को छिपाना चाहती थी.

 

चीन में मौजूद अमेरिकी खुफिया सूत्रों ने यह जानकारी दी है. खुफिया सूत्रों के मुताबिक चीन की सिविल अफेयर्स मिनिस्ट्री ने गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों के परिवारों को कहा है कि वो अंतिम संस्कार के पारंपरिक तरीके भूल जाएं.

मंत्रालय ने आगे कहा कि अगर अंतिम संस्कार करना है तो किसी सूनसान इलाके में जाकर करें. अंतिम संस्कार पूरा करने के बाद किसी तरह का समारोह आयोजित न करें.

हालांकि, सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का डर दिखाकर अंतिम संस्कार करने से मना किया है. बीजिंग में मौजूद सरकार चाहती है कि चीन के लोगों को गलवान घाटी की घटना और उसमें मारे गए चीनी सैनिकों के बारे में कम से कम लोगों को पता चले.

ग्लोबल टाइम्स के एडिटर इन चीफ हू झिजिन ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान को ट्वीट कर लिखा कि जहां तक मुझे पता है कि गलवान घाटी की झड़प में चीनी सेना में मरने वालों की संख्या भारत के 20 के आंकड़े से कम थी.

इतना ही नहीं कोई भी चीनी सैनिक भारत ने बंदी नहीं बनाया था, बल्कि चीन ने भारत के सैनिकों को बंदी बनाया था. आपको बता दें कि ग्लोबल टाइम्स चीन के पीपुल्स डेली का अंग्रेजी अखबार है, जो चीन की सत्ताधारी पार्टी चाइनीज़ कम्युनिस्ट पार्टी का ही पब्लिकेशन है.

चीन ने इस बात को तब कबूला है, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में चीन सीमा पर जारी तनाव की जानकारी देश को दी. राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत सभी नियमों और समझौतों का पालन कर रहा है, लेकिन चीन की ओर से बार-बार इनका उल्लंघन किया जा रहा है.

कुछ हफ्तों पहले चीन की सरकार गलवान घाटी में मारे गए अपने सैनिकों के अंतिम संस्कार को करने से भी मना कर रही थी. क्योंकि वह दुनिया को जताना नहीं चाहती थी कि उसके सैनिक मारे नहीं गए हैं.

लेकिन अब चीन की सरकार ने पहली बार ये बात मान ली है कि जून में गलवान घाटी की झड़प में उसके सैनिकों की भी मौत हुई थी. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स के एडिटर ने माना है कि गलवान घाटी में चीन की सेना को नुकसान पहुंचा था. कुछ जवानों की जान गई थी.