8-10 वर्ष की आयु में पीरियड्स प्रारम्भ होने के कारण लड़कियों में नहीं होता है इस चीज़ का विकास

01 से 2 बार से ज्यादा पीरियड आगे बढ़ाने वाली दवा मन से न लें. इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती है. 06 माह या डेढ़ वर्ष तक भी पीरियड नहीं आते बे्रस्ट फीडिंग से 02 बार दिन में नैपकिन जरूर बदलें वर्ना यूटीआई की संभावना रहतइन दिनों ज्यादातर लड़कियां अनियमित पीरियड्स से परेशान हैं. वैसे तो यह चक्र हार्मोन्स में होने वाली गड़बड़ी से होता है. जिसका कारण मुख्य रूप  से बेकार खानपान  दिनचर्या है.


चक्र बिगड़े तो ध्यान दें
हर माह एस्ट्रोजन हार्मोन के कारण महिला के गर्भाशय में एक रक्तयुक्त झिल्ली (लाइनिंग) बनती है जो सामान्यत: 24, 28 या 35 दिन के चक्र के बाद स्वत: टूट जाती है. हर महिला में यह चक्र उनकी शारीरिक संरचना  दिनचर्या के अनुसार भिन्न-भिन्न होता है. यूट्रस की लाइनिंग में गड़बड़ी या कोई रोग से यह चक्र बिगड़ जाता है. इसलिए चक्र से जुड़े बदलावों पर समय रहते ध्यान दें.
हाइट का संबंध
12-13 साल की आयु में भी पीरियड्स प्रारम्भ न हों तो चिंता न करें. 13 वर्ष तक भी कई बार मेंसेस प्रारम्भ होते हैं. फिर भी न आए तो यह प्राइमरी एमेनोरिया की स्थिति है. ऐसे में बॉडी चेकअप के साथ देखते हैं कि महिला संबंधी तथ्य है या नहीं. डाइट और बेकार दिनचर्या से कई बार लड़कियों में 8-10 वर्ष की आयु में पीरियड्स प्रारम्भ होते हैं. इस प्रीमेच्योर मीनारकी स्थिति में हड्डियों का विकास न होने से हाइट नहीं बढ़ती.
दवा न लें : प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के रूप में मिलने वाली दवा पीरियड्स को 1-2 बार या 10-15 दिन आगे बढ़ा देती है जिससे परेशानी नहीं होती. दवा के अधिक इस्तेमाल से हार्मोन असंतुलित होने से सूजन, एक्ने की परेशानी होती है.
आयुर्वेदिक नजरिया
आयुर्वेद के ग्रंथों में माहवारी के दौरान रजस्वलाचर्या अपनाएं-घी संग चावल, जौ के दलिए की खीर खाएं. जौ के आटे की रोटी दूध संग खाएं. लिक्विड डाइट लें. मीठे फल यानी चीकू, पपीता, अनार खाने से दर्द में कमी आती है. असहज महसूस न करें तब तक योग, मेडिटेशन और वर्कआउट करें.