68 वर्ष में कांग्रेस पार्टी कभी नहीं जीत पाई लोकसभा चुनाव ये सीट, जानिए ये हैं वजह

क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी भी लोकसभा सीट है जिसे हिंदुस्तान की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस पार्टी 1951 के पहले आम चुनाव से लेकर 2014 के 16 वें आम चुनाव तक एक बार भी नहीं जीतीं. पिछले 68 वर्ष में कांग्रेस पार्टी इस सीट से हर बार लोकसभा चुनाव हारी है. यह लोकसभा सीट दक्षिण हिंदुस्तान के केरल सूबे में है. आइए इस सीट के बारे में जानते हैं 

कौन-सी है वो सीट जहां 68 वर्ष में एक बार भी नहीं जीतीं कांग्रेस पार्टी ?

यह केरल की पोन्नानी लोकसभा सीट है जहां से कांग्रेस पार्टी अभी तक एक भी लोकसभा चुनाव नहीं जीतीं. किसी जमाने में यह क्षेत्र मसालों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध हुआ करता था.यहां से दुनियाभर में मसालों का निर्यात होता था. यह मध्य-युग की बात है. मध्य-युग में पोन्नानी, अरब व्यापारियों के लिए व्यापार का प्रमुख केन्द्र हुआ करता था. पुर्तगालियों ने इस व्यापार केन्द्र पर अतिक्रमण करने के लिए कई बार आक्रमण किया. अब यह क्षेत्र मछली पकड़ने वाले क्षेत्र के तौर पर मशहूर है. पोन्नानी नहर, केरल के इस शहर को दो भागों में बांटती है.

1951 से लेकर 2014 तक कौन-सी पार्टी का इस सीट पर रहा कब्जा?
1951 में देश में पहला आम चुनाव संपन्न हुआ. यहां से किसान मेहनतकश पार्टी चुनाव जीतीं. इसके बाद तीन बार लगातार इस सीट से लेफ्ट पार्टियों ने चुनाव जीता. 1962, 1967 1972 में इस सीट पर सीपीआई  सीपीएम का अतिक्रमण रहा. इसके बाद 11 बार लगातार इस सीट से भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग चुनाव जीतती आ ही है. 1977 के आम चुनाव से लेकर 2014 के आम चुनाव तक पोन्नानी सीट पर भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग का अतिक्रमण रहा.

1951 में पोन्नानी बहु सदस्यीय निर्वाचन क्षेत्र था. यहां से लोकसभा में जनरल कैटगिरी  रिजर्व कैटगिरी से सांसद पहुंचते थे.इस सीट पर सामान्य श्रेणी से किसान मेहनतकश पार्टी के केलप्पन कोहापाली चुनाव लड़ रहे थे  दूसरी तरफ आरक्षित श्रेणी से हरेरान इयानी चुनाव में खड़े थे. केलप्पन को सबसे ज्यादा 1,46,366 वोट मिले  संसद पहुंचे. जबकि आरक्षित श्रेणी से कांग्रेस पार्टी के हरेरान इयानी संसद पहुंचे. यह पहली बार था जब यहां से दो सांसद संसद पहुंचे थे.

पोन्नानी में 1957 में नहीं हुआ दूसरा लोकसभा चुनाव!
पोन्नानी के दूसरे लोकसभा चुनाव के नतीजों के बारे में चुनाव आयोग के पास कोई जानकारी नहीं है. इससे ऐसा लगता है कि यहां दूसरा लोकसभा चुनाव हुआ ही नहीं था. लोकसभा की वेबसाइट पर भी दूसरे आम चुनाव के तौर पर इस सीट का नाम पंजीकृत नहीं है. 1951, 1962, 1967  1971 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से कांग्रेस पार्टी का मत प्रतिशत बहुत कम रहा  इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने यहां से अपना उम्मीदवार उतारना ही छोड़ दिया. कांग्रेस पार्टी ने भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल ) के साथ गठबंधन कर लिया. तब से इस सीट पर आईयूएमएल का ही अतिक्रमण है.