31 अक्तूबर तक यातायात के लिए वजीराबाद में यमुना नदी पर बन रहे सिग्नेचर ब्रिज को खोलने की चल रही तैयारी के बीच इसे पर्यटन केंद्र के रूप विकसित करने की कवायद भी तेज हो गई है। सिग्नेचर ब्रिज के 154 मीटर ऊंचे टावर के शीर्ष पर 4 फ्लोर में ग्लास बॉक्स दिसम्बर तक तैयार करने की प्लॉनिंग की गई है।
लोग लिफ्ट के जरिए ग्लास बॉक्स में आकर दिल्ली का नजारा देख सकेंगे। लिफ्ट अगले वर्ष मार्च तक लगा दी जाएगी। पर्यटन की दृष्टि से ब्रिज के आसपास पार्किंग व रेस्त्रां की भी सुविधा दी जाएगी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सिग्नेचर ब्रिज को खोलने की तय डेडलाइन 31 अक्तूबर तक इसे खोल दिया जाएगा। लेकिन सिग्नेचर ब्रिज को पर्यटन हब बनाने के लिए इससे संबंधित कार्य जारी रहेंगे। टूरिस्ट डेस्टिनेशन के रूप में इसे विकसित करने का काम अगले साल मार्च तक पूरा होने की उम्मीद है।
ब्रिज पर आने वालों को धनुष के आकार का स्टील से बनाए गए पाइलन टावर के शीर्ष पर जाने की अनुमति होगी। इससे लोगों को कुतुबमीनार से दोगुनी ऊंचाई पर आकर दिल्ली व यमुना को देखने का मौका मिलेगा। टावर के ऊपर से दिल्ली का विहंगम दृश्य देखने को मिलेगा।
मुख्य ब्रिज 675 मीटर लंबा
मुख्य ब्रिज वजीराबाद बैराज के सामने 2 वड़े पिलरों पर खड़ा किया गया जो 675 मीटर लंबा है। इस ब्रिज के चालू होने से लोगों का कम से कम 30 मिनट बचेगा। इससे दिल्ली से गाजियाबाद के बीच भी आवागमन सुगम हो जाएगा। खजूरी खास, तिमारपुर, नेहरू विहार, बुराड़ी और वजीराबाद आदि इलाकों से आने वालों को भी लाभ होगा।
क्यों खास है सिग्नेचर ब्रिज
- 1,518 करोड़ में बनकर तैयार हुआ सिग्नेचर ब्रिज
- ब्रिज की ऊंचाई 154 मीटर
- धनुष के आकार का स्टील से बनाया गया टावर
- टावर के साथ यमुना पर बनने वाले पुल के लिए 250 मीटर लंबा स्पैन 8 लेन का
- इसे पूरा करने के लिए विशेष प्रकार की वेल्डिंग की आवश्यकता पड़ी
- पूरी प्रक्रिया में चार स्तरीय गुणवत्ता की भी जांच की गई
- ब्रिज ट्रांस यमुना क्षेत्र को बाहरी व उत्तरी दिल्ली से जोड़ेगा
- टावर को बांधने के लिए दो बड़े फाउंडेशन वेल बनाए गए
- टावर का सारा भार फाउंडेशन वेल संभाल रहे
- वेल एक-एक हजार टन के लोहे और कंकरीट भरकर बनाए गए
- टावर की केबलों को फाउंडेशन वेल में बांधा गया
- ब्रिज को केबल के तारों की सहायता से तैयार किया गया
- देश का पहला सिंगल पाइलन ब्रिज
- बैलेंस 18 मोटी केबलों से साधा गया
- नीचे कोई पिलर नहीं और दूसरी ओर मात्र चार केबलेें
- पूरा ब्रिज स्टील का बने तारों से झूलता हुआ
- ब्रिज पूरी तरह से भूकंपरोधी