काबुल पहुंच गए 3000 अमेरिकी सैनिक, जानिए क्या होने वाला है…

विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने योजना के समन्वयन के लिए अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी से बृहस्पतिवार को फोन पर बात की।

 

अमेरिका ने तालिबान के ओहदेदारों को भी सीधी चेतावनी दी है कि अगर वह अमेरिका की अस्थायी सैन्य तैनाती के दौरान अमेरिकियों पर हमला करता है तो इसका जवाब दिया जाएगा।

वहीं, ब्रिटेन का रक्षा मंत्रालय अपने बाकी सैनिकों की सुरक्षित वापसी के लिए करीब 600 अतिरिक्त सैनिकों को अफगानिस्तान भेजेगा। सूत्रों के अनुसार, इसी तरह काबुल से कनाडाई कर्मियों की सुरक्षित निकासी के लिए कनाडा के विशेष बलों को भी तैनात किया जाएगा।

प्रेंटागन के मुख्य प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि तीन इंफेंट्री बटालियनों को हवाईअड्डे पर पहुंचाने के साथ ही पेंटागन 3,500 से 4,000 सैनिकों को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के लिहाज से कुवैत भेजेगा। उन्होंने कहा कि काबुल में जो 3,000 सैनिक भेजे जा रहे हैं, उनके अतिरिक्त अगर जरूरत पड़ी तो उन्हें उक्त सैनिकों में से भेजा जाएगा।

अमेरिका के विदेश विभाग ने कहा कि दूतावास काम करता रहेगा लेकिन हजारों अतिरिक्त अमेरिकी सैनिकों को भेजने का गुरुवार का फैसला इस बात का संकेत है कि तालिबान के दबदबे को रोकने में अफगान सरकार की क्षमता को लेकर अमेरिका का भरोसा अब कमजोर हो रहा है।

अफगानिस्तान में अमेरिकी अभियान को इस महीने के आखिर तक समाप्त करने पर अडिग बाइडन ने गुरुवार सुबह अतिरिक्त अस्थायी सैनिकों को भेजने का आदेश दिया। इससे पहले उन्होंने रात में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों से सलाह-मशविरा किया।

अफगानिस्तान को आखिरी बड़ा झटका हेलमंद प्रांत की राजधानी से नियंत्रण खोने के रूप में लगा है जहां अमेरिकी, ब्रिटिश और अन्य गठबंधन नाटो सहयोगियों ने पिछले दो दशक में भीषण लड़ाइयां लड़ी हैं।

इस प्रांत में तालिबान को नेस्तानाबूद करने के प्रयासों में संघर्ष के दौरान पश्चिमी देशों के सैकड़ों सैनिक मारे गये। इसका मकसद अफगानिस्तान की केंद्र सरकार और सेना को नियंत्रण का बेहतर मौका देना था।

अफगानिस्तान में तेजी से तालिबान का कब्जा बढ़ने के साथ ही अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के प्रशासन ने शुक्रवार को 3,000 और सैनिकों को काबुल हवाईअड्डे पर पहुंचाया ताकि वहां अमेरिकी दूतावास से अधिकारियों को निकालने में मदद मिल सके।

वहीं, हजारों और सैनिकों को क्षेत्र में तैनाती के लिए भेजा गया है। अमेरिकी अधिकारियों और कर्मियों की सुरक्षित निकासी के लिए सैनिकों की अस्थायी तैनाती से संकेत मिलता है कि तालिबान देश के बड़े हिस्से पर तेजी से कब्जा बढ़ाता जा रहा है।

तालिबान ने शुक्रवार को अफगानिस्तान के दक्षिणी हिस्से में लगभग पूरा कब्जा कर लिया, जहां उसने चार और प्रांतों की राजधानियों पर नियंत्रण हासिल कर लिया। अमेरिका के सैनिकों की पूरी तरह वापसी से कुछ सप्ताह पहले तालिबान धीरे-धीरे काबुल की ओर बढ़ रहा है।