24 मई को हुए भीषण अग्निकांड में 22 बच्चों की हुई मौत

सूरत के सरथाणा के तक्षशिला आर्केड में 24 मई को हुए भीषण अग्निकांड में 22 बच्चों की जान चली गई थी. इनमें से 16 जिंदा जल गए थे. स्मीमेर अस्पताल के डॉक्टर्स ने इनका 16 घंटे तक पोस्टमार्टम किया. इस कार्य में अस्पताल के 20 लोगों का स्टाफ लगा. उनका यह अनुभव बहुत भयावह था. 24 की रात को 8 बजे से 25 की दोपहर 12 बजे तक पोस्टमार्टम चला.

डॉक्टर ने बताया कि बच्चों के शरीर का हर अंग जल चुका था. ऐसा जला था कि हमें सैंपल नहीं मिल रहे थे. तक्षशिला में आग लगी तब 16 बच्चे जिस रूम में थे उसका दरवाजा बाहर से बंद था. इससे वे नहीं निकल सके. बच्चे अपने माता-पिता  संबंधियों को फोन कर मदद की गुहार लगा रहे थे. एक बच्चे के पिता दिलीप सवाणी बताया कि मितेश ने फोन पर बताया था कि दरवाजा बाहर से बंद था.

“बच्चों के मृत शरीर देखकर हम कांप गए थे”

  • स्मीमेर मेडिकल कॉलेज के फॉरेंसिक मेडिसिन डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रो डॉ संदीप रालोटी ने बताया, “उस रात 16 शवों का पोस्टमार्टम करना बहुत भयावह था. डॉक्टरों को अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करना कठिन हो रहा था. उनके करियर में इस तरह का मंजर कभी नहीं आया था. उनके लिए ऐसे बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम करना बहुत बड़ी चुनौती थी.
  • “शव इस कदर जले थे कि उनकी पहचान करना तो कठिन ही था, साथ ही पोस्टमार्टम करना उससे भी बड़ा कठिन कार्य था.ऐसे शवों का पोस्टमार्टम कैसे किया जाए, समझ नहीं आ रहा था. हमारा कार्य है पोस्टमार्टम करना है, इसलिए हमारे लिए यह सिर्फ एक कार्य है, इसे हम उसी तरह लेते हैं, लेकिन तक्षशिला हादसे में जिंदा जले बच्चों के शवों की हालत देखकर हम सब अंदर से कांप गए थे.
  • “इससे पहले भी कई बड़ी कैजुअलिटी हुई हैं. एक साथ कई मृत शरीर आए हैं, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में मासूम बच्चों के जले मृत शरीर नहीं आए थे.बच्चों कीपहचान तो दूर की बात, डीएनए के लिए सैंपल तक नहीं मिल रहे थे. इसलिए डीएनए जाँच के लिए हमें उनके दांत के सैंपल लेने पड़े.

शॉर्ट सर्किट की वजह से हुआ था हादसा
सूरत के सरथाणा जकातनाका के तक्षशिला आर्केड में 24मई को दोपहर 3:30 बजे आग लगी थी. इसमें 22 बच्चों समेत 23 लोगों की मृत्यु हुई थी. ऐसा बताया कि आग शॉर्ट सर्किट की वजह से लगी थी. घटना के समय 15 से 22 की आयु के 60 छात्र-छात्राएं दूसरी  तीसरी मंजिल पर चलने वाली दो आर्ट-हॉबीज क्लासेज अटेंड कर रहे थे.