एनडीए संसदीय दल की मीटिंग में प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी कहे ओर खूब बोले। न विपक्ष की आलोचना कि व न ही गांधी परिवार पर निशाना साधा। चुनावों के दौरान दिखी तल्खी पूरी तरह से नदारद रही।
आलम ये रहा कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने इतना ही बोला कि 2019 के चुनावों में जनता ने विरासत की पॉलिटिक्स को नकार दिया है व सफलता राजनीति ऑफ परफॉरमेंस को मिली है। व इसके लिए न तो मोदी जिम्मेदार हैं व न ही कोई व नेता बल्कि जिताया है तो देश की जनता ने।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने आने वाले दिनों का एजेंडा भी तय कर दिया है। वो है 2022 में न्यू इंडिया के संकल्प को पूरा करने का एजेंडा। आज़ादी के 75वें वर्ष में नए हिंदुस्तान के निर्माण का संकल्प तो प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 वर्ष पहले ही तय कर दिया था। इसके लिए सभी सांसदों को बिना किसी पद का इंतज़ार किए बिना कार्य पर लग जाना है वो भी अपने क्षत्रों से बाहर निकल कर सारे देश में।
पीएम ने बोला कि अब सरकार सबका साथ सबका विश्वास से आगे निकल कर तीसरा लक्ष्य जोड़ना चाहती है व वो है सबका विश्वास। मोदी ने बोला कि अब तक गरीबों वअल्पसंख्यकों को पिछली सरकारों ने डराने के अतिरिक्त कुछ नहीं किया। इसलिए अल्पसंख्यकों का विश्वास जितना महत्वपूर्ण है।
पीएम मोदी ने अपने सांसदों को एक नया नारा भी दिया। ये नारा है NaRa यानी नेशनल एजेंडा व रूरल एजेंडा। अभी जो संसद चुन कर आये है वो इस एजेंडा पर कार्य प्रारम्भ कर दें।पीएम ने दो टूक बोला कि मंत्री बनने की चिंता संसद ने करें व न ही वे मीडिया में छपी खबरों पर विश्वास करें। मोदी ने बोला कि मीडिया की बातें गलत साबित होगी। जिन्हें कॉल चला जाये वो बिना शोर मचाये शपथ ले लें व जो न बने वो भी हमारे हैं व वो भी देश के विकास में योगदान करें।
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अपने नेताओं के विवादास्पद बोल के लिए भी खासे परेशान नजर आए। उन्होंने नए चुन कर आये सांसदों को ‘छपास के रोग’ से बच कर रहने को बोला व साथ ही ये भी नसीहत दी कि उन्हें दिल्ली कर दलालों से बचना चाहिए अन्यथा वो ऐसे जाल में फंस जाएंगे जिससे निकलना कठिन होगा। शायद इसी का प्रभाव था कि मीटिंग के बाद सेंट्रल हॉल से बाहर आने वाले संसद कैमरा व माइक से बचते नजर आए। साफ आदेश था कि वीआईपी संस्कृति से बचना होगा ताकि देश की सेवा निसवार्थ भाव से हो सके।
सेंट्रल हॉल में मीटिंग समाप्त होने के बाद प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलने वालों की कतार समाप्त होने का नाम नहीं ले रही थी। उनसे हाथ मिलाने की होड़ भी मची थी। इस धक्का मुक्की में जब अपना ‘ढाई किलो’ का हाथ लेकर सनी देओल पीएम की सामने पहुंचे तो उनके हाथों व कंधे पर प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जिस जोश से अपने हाथ मारे वो उन्हें हमेशा याद रहेगा।
सेंट्रल हॉल में तो पीएम के आने से पहले स्मृति ईरानी सभी सांसदों की बधाइयां लेने में लगी थी। सभी कतार में जाकर सबसे मिल रही स्मृति ईरानी का कद भाजपा की नजरों में अब खास बढ़ गया है। उधर पटना साहिब से जीत कर आने वाले रवि शंकर प्रसाद भी लगातार लोगों की बधाइयां ही ले रहे थे। साध्वी प्रज्ञा पहुंची तो जरूर लेकिन पीएम की नाराजगी का प्रभाव साफ दिखा क्योंकि उन्हें कोई घेरे नजर नही आया।
पीएम का संदेश साफ रहा कि सीटें जितनी भी आएं लेकिन एनडीए को साथ ले कर चलना है। मंच पर प्रकाश सिंह बादल, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान व तमिलनाडु के सीएमभी उपस्थित रहे। पीएम ने अटल बिहारी वाजपेयी को याद करते हुए बोला कि उन्होंने गठबंधन की जो सरकार चलाई वो एक उदाहरण पेश करती है।
ये तय है कि मोदी एक भी दिन खाली छोड़ने के मूड मे नहीं है। एजेंडा तय हो चुका है। सांसदों को संदेश जा चुका है। जो नए चुन कर आएं उनकी जिम्मेदारियां तय हो चुकी है। 2014 के न खाऊंगा न सोने दूंगा से बढ़ कर 2019 के बाद न सोऊंगा न सोने दूंगा से बात बहुत आगे बढ़ चुकी है। पार्टी व जनता ने चुना है तो सत्ता व संगठन दोनों के लिए कार्य करो। अब एक ही बात कही जा सकती है परफॉर्म या पेरिश।