2019 लोकसभा चुनाव बेहद करीब हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सत्ता गंवाने से आहत बीजेपी ‘भूल सुधार’ कर जोरदार तरीके से तैयारी में जुटी हुई है। दूसरी ओर कांग्रेस है जो पहले से ज्यादा आक्रामक नजर आ रही है। हाल के चुनावों में जीत से उत्साहित कांग्रेस अलग-अलग राज्यों में गठबंधन के सहारे बीजेपी को चुनौती देने में जुटी है। 2019 लोकसभा चुनाव से पहले जो चुनावी हवा बनती दिख रही है, उसमें कई फैक्टर बेहद प्रभावी होते दिख रहे हैं। मसलन- राफेल डील, राम मंदिर निर्माण, किसानों की कर्जमाफी। कांग्रेस हो या बीजेपी 2019 में जीत का फॉर्मूला इन्हीं सब बातों के इर्द-गिर्द तलाशा जा रहा है, लेकिन एक और ब्रह्मास्त्र है, जो अगर सही जगह पर लग गया तो किसी भी पार्टी को बंपर जीत हाथ लग सकती है। हालांकि, यह काम इतना आसान नहीं है, लेकिन बिना कठिन लक्ष्य हासिल किए चुनाव भी नहीं जीते जाते। इस ब्रह्मास्त्र को जो भी पार्टी सही से चला देगी तो बाजी पूरी तरह पलट जाएगी। यह गणित एक या दो करोड़ नहीं बल्कि पूरे 28 करोड़ वोटों का है।
बदल सकता है पूरा का पूरा चुनावी गेम
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल 83 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में इन 83 करोड़ वोटर्स में से करीब 28 करोड़ मतदाताओं ने वोट नहीं डाला था। यहां एक संभावना बीजेपी और कांग्रेस के लिए बराबर बन रही है। ये जो 28 करोड़ वोटर है, उसमें नौकरी, शादी या पढ़ाई के बाद घर छोड़ने वाले मतदाता सबसे ज्यादा हैं। ये लोग रजिर्स्ड वोटर तो हैं, मतलब मतदाता सूची में इनका नाम दर्ज है, लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में इन्होंने वोट ही नहीं डाला। अब इतना वोट बैंक ऐसा है, जो वोट ही नहीं डालता। मतलब घर छोड़ने के बाद वापस लौटकर वोट डाल पाना इनके लिए बड़ा मुश्किल हो जाता है। ऐसे वोटरों को बूथ तक लाने के लिए दो प्रकार के उपाय किए जा सकते हैं। पहला- इन मतदाताओं को प्रेरित किया जाए और दूसरा यह विकल्प हो सकता है कि जो जहां पर वह उसी जगह से अपना वोट डाल दे। इसके लिए अगर चुनाव आयोग कुछ व्यवस्था कर दे तो पूरा का पूरा चुनावी ही चेंज हो सकता है।
पिछले लोकसभा चुनाव के ये आंकड़े पढ़कर आश्चर्य में पड़ जाएंगे आप
2014 लोकसभा के आंकड़ों की बात करें तो इसमें बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। पिछले चुनाव में बीजेपी को करीब साढ़े 17 करोड़ वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस को लगभग साढ़े 10 करोड़, अन्य 8 बड़े दलों को करीब 13 करोड़ वोट प्राप्त हुए थे। ऐसे में जरा अंदाजा लगाइए कि अगर ये 28 करोड़ वोटर भी अपना वोट डालते तो चुनाव के नतीजे उलट-पलट हो सकते थे।
इन 28 करोड़ वोटर्स ने वोट डाला तो कैसे नतीजे आएंगे जरा, सोचिए
हैरत की बात यह है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले यूपी, बिहार, महाराष्ट्र में गठबंधन को लेकर जोरदार सरगर्मी है। किसानों की कर्जमाफी पर जोरदार चर्चा है, लेकिन इन 28 करोड़ वोटर्स के मुद्दे को न तो कोई दल उठा रहा है और न ही चुनाव आयोग ने इस दिशा में कोई बात कही है। यदि एनआरआई वोटर्स की तरह इन मतदाताओं को भी उसी स्थान से वोट डालने दिया जाए, जहां पर ये अस्थाई तौर पर प्रवास कर रहे हैं तो आंकड़े पूरी तरह बदल सकते हैं। निश्चित तौर पर अधिक सहभागिता से लोकतंत्र भी और ज्यादा मजबूत हो