2004 की भयकंर सुनामी का बड़ा हिस्‍सा हो गया था तहस-नहस, उस पर अमेरिकी की हत्‍या का आरोप

2004 की भयकंर सुनामी में का बड़ा हिस्‍सा तहस-नहस हो गया था उस सुनामी में हजारों जानें गई थीं लेकिन यहां के नॉर्थ सेंटीनल आइलैंड पर रहने वाले आदिवासी बाहरी संसार की किसी मदद के बिना जीवित बच गए थे ये बड़ी बात इसलिए है क्‍योंकि सेंटीनल आइलैंड की इस संरक्षित आदिवासी समुदाय का बाहरी संसार से कोई लेना-देना नहीं है अब ये समुदाय एक बार फिर चर्चा में इसलिए है क्‍योंकि इन आदिवासियों पर एक अमेरिकी पर्यटक की हत्‍या का शक है

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इन आदिवासियों पर आरोप है कि नार्थ सेंटीनल आयलैंड में प्रवेश करने का कोशिश कर रहे एक अमेरिकी नागरिक की संरक्षित आदिवासियों ने कथित तौर पर तीर मारकर मर्डर कर दी है पुलिस के मुताबिक अमेरिकी नागरिक जॉन एलन चाऊ (27) की 17 नवंबर को सेंटेनलीज आदिवासियों ने मर्डर कर दी पुलिस का यह भी कहना है, ‘‘ऐसी संभावना है कि उनका मृत शरीर पिछले हफ्ते जमीन में दफना दिया गया ’’ पुलिस का यह कहना है, ‘‘उनकी मौत पारंपरिक हथियारों से हुई लेकिन हम अभी स्पष्ट तौर पर नहीं बता सकते कि क्या उनकी तीरों या भालों से मर्डर की गई ’’

सेंटेनलीज आदिवासी
वर्ष 2004 की जनगणना के अनुसार, जनगणना ऑफिसर केवल 15 सेंटेनलीज लोग 12 पुरुष  तीन स्त्रियों का ही पता लगा सके हालांकि विशेषज्ञों के अनुसार उनकी संख्या 40 से 400 के बीच कुछ भी हो सकती है सेंटीनलीज लोग प्री-नियोलिथिक आदिवासी समूह हैं ये बंगाल की खाड़ी में स्थित नॉर्थ सेंटीनल आइलैंड में रहते हैं भौगोलिक लिहाज से ये हिस्‍सा अंडमान आइलैंड का हिस्‍सा है इस कारण इनको अंडमान आदिवासी समूह भी बोला जाता है

आनुवांशिक लिहाज से निग्रिटो श्रेणी का ये आदिम समूह सेंटेनलीज भाषा बोलता है इस भाषा के बारे में भी बाहरी संसार को कोई जानकारी नहीं है क्‍योंकि आस-पास ऐसी भाषा बोले जाने के कोई साक्ष्‍य नहीं मिलते

सबसे पहले 1880 में ब्रिटिश नौसेना ऑफिसर मॉरीश वीडल पोर्टमैन ने इस समुदाय से संपर्क करने की प्रयास की थी उन्‍होंने इस आदिम समूह के कई लोगों को पकड़ लिया लेकिन बाहरी संसार के संपर्क में आने से संक्रमण के चलते दो सेंटेनीलीज की मौत हो गई बाद में बाकी लोगों को उनके इलाके में ले जाकर छोड़ दिया गया इस तरह वह कोशिश असफल साबित हुआ उसके बाद से लेकर कई प्रयासों के बावजूद आज तक इस समुदाय का बाहरी संसार से केवल सीमित संपर्क ही हुआ है

दिल्ली विश्वविद्यालय में मानव विज्ञान विभाग के प्रोफेसर पीसी जोशी ने बोला कि यह जनजाति अब भी बाहरी संसार से पूरी तरह कटी हुई है  इंडियन मानव विज्ञान सोसायटी के प्रयासों के बावजूद इनसे संपर्क नहीं किया जा सका सोसायटी ने उनके लिए केले, नारियल छोड़कर अप्रत्यक्ष तौर पर उनसे संपर्क की प्रयास की थी

प्रोफेसर ने कहा, ‘‘हमने प्रयास की थी लेकिन जनजाति ने कोई रुचि नहीं दिखाई वे अंडमान में सबसे व्यक्तिगत आदिवासियों में से एक हैं वे आक्रामक हैं  बाहरी लोगों पर तीरों तथा पत्थरों से हमला करने के लिए पहचाने जाते हैं मुझे नहीं पता कि यह अमेरिकी द्वीप पर क्यों गया लेकिन यह जनजाति लंबे समय से अलग-थलग रह रही है जिसके लिए मैं उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराता क्योंकि वे इसे घुसपैठ  खतरे के तौर पर देखते हैं ’’

2006 की घटना
वर्ष 2006 में समुद्र में शिकार करने के बाद दो इंडियन मछुआरों ने सोने के लिए इस द्वीप के समीप अपनी नौका बांध दी थी लेकिन नौका की रस्सी ढीली होकर तट की ओर बह गई जिससे उनकी मर्डर कर दी गई जोशी ने बोला कि यह चिंता का विषय है कि इस द्वीप को हाल ही में दर्शकों के लिए खोला गया यहां सेंटेनलीज सैकड़ों सालों से रहते आए हैं

उन्होंने कहा, ‘‘ये लोग पर्यटकों के देखने के लिए आदर्श नहीं हैं ये रोगों के लिहाज से अति संवेदनशील हैं  किसी तरह के संपर्क से ये विलुप्त हो सकते हैं हम कुछ डॉलर के लिए उनसे संपर्क नहीं बना सकते हमें उनकी पसंद का सम्मान करना होगा ’’

हाल तक इस आइलैंड पर बाहरी लोगों का जाना मना था इस वर्ष एक बड़ा कदम उठाते हुये गवर्नमेंट ने संघ शासित इलाकों में इस द्वीप सहित 28 अन्य द्वीपों को 31 दिसंबर, 2022 तक प्रतिबंधित एरिया आज्ञापत्र (आरएपी) की सूची से बाहर कर दिया था आरएपी को हटाने का आशय यह हुआ कि विदेशी लोग गवर्नमेंट की अनुमति के बिना इन द्वीपों पर जा सकेंगे