2 लाख वोटो से जीतने के बाद भी इस एक्टर ने छोड़ दी पॉलिटिक्स, जानिए ये है वजह

लोकसभा चुनाव के नतीजे आज आने वाले हैं । इस बीच सभी राजनीतिक पार्टियों में गहमागहमी मची है । जया प्रदा, सनी देओल, उर्मिला मातोंडकर, शत्रुघ्न सिन्हा, जया बच्चन  हेमा मालिनी जैसे बड़े सितारों की भाग्य भी दांव पर लगी है । बॉलीवुड से एक्टर-एक्ट्रेस का राजनीति में शामिल होने का दौर बहुत ज्यादा पुराना है.अमिताभ बच्चन ने भी 1984 में इलाहबाद से कांग्रेस पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था .

उस समय अमिताभ  राजीव गांधी के संबंध नयी ऊंचाई पर थे । राजीव गांधी ने अपने दोस्त अमिताभ बच्चन को कांग्रेस पार्टी के टिकट पर इलाहाबाद से चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर लिया. अमिताभ बच्चन को इलाहाबाद से कांग्रेस पार्टी का टिकट मिला  उन्होंने बड़े अंतर से हेमवती नंदन बहुगुणा को हराया. बहुगुणा अमिताभ के बीच हुए चुनावी प्रयत्न के कई दिलचस्प किस्से हैं.

1977 में अगर उत्तर हिंदुस्तान में कांग्रेस पार्टी का सफाया हुआ था तो कांग्रेस पार्टी ने 1984 में अमिताभ बच्चन को चुनाव में खड़ा कर उसका बदला लिया था । जब इंदिरा गांधी की मर्डर के बाद उपजी सहानुभूति लहर ने विपक्ष के कई बड़े दिग्गजों को चुनावी अखाड़े में जमीन सुंघा दी थी. ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी माधव राव सिंधिया जैसा ही दिलचस्प चुनावी मुकाबला यूपी के इलाहाबाद में माटी के लाल हेमवती नंदन बहुगुणा  छोरा गंगा किनारे वाला अमिताभ बच्चन के बीच भी हुआ था.

इलाहाबाद हेमवती नंदन बहुगुणा का राजनीतिक गढ़ माना जाता था. यूं तो बहुगुणा अविभाजित यूपी (तब उत्तराखंड प्रदेश का गठन नहीं हुआ था) के गढ़वाल इलाके के रहने वाले थे लेकिन उनकी शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में ही हुई थी. बहुगुणा की पत्नी कमला बहुगुणा भी इलाहाबाद की थीं. हालांकि बहुगुणा लखनऊ  पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से भी सांसद रह चुके थे. लेकिन 1984 में वह इलाहाबाद से लोकदल के उम्मीदवार थे. पूरा विपक्ष उनके पीछे एकजुट था.

ऐसे में उनके मुकाबले जब अमिताभ बच्चन को कांग्रेस पार्टी ने उतारा तो यह चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया था. अमिताभ तब तक सुपर स्टार बन चुके थे. उनकी कई फिल्में हिट हो चुकी थीं  एंग्री यंग मैन का नौजवानों में बेहद क्रेज था. लेकिन बहुगुणा भी पॉलिटिक्स के मंझे हुए खिलाड़ी थे, इसलिए यह बोलना कठिन था कि कौन जीतेगा.बहुगुणा को इस चुनाव में इलाहाबाद की अपनी जमीनी ताकत, पहाड़ी, कायस्थ  मुस्लिम मतदाताओं के मजबूत ध्रुवीकरण  व्यक्तिगत लोकप्रियता पर पूरा भरोसा था.

उत्तर प्रदेश के सीएम  केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने न जाने कितने लोगों की मदद की थी  कई तरह से उपकृत भी किया था. उन्हें चुनाव जीतने  प्रतिद्वंदी को हराने के सारे दांव-पेंच मालूम थे । अमिताभ सियासत के खेल में बिल्कुल नौसिखिए थे, इसलिए बहुगुणा को अपनी जीत की पूरी उम्मीद थी । उधर अमिताभ को अपनी सितारा छवि, युवाओं में लोकप्रियता, कांग्रेस पार्टी के प्रति सहानुभूति लहर  सबसे ज्यादा अपने इलाहाबादी होने की ताकत का भरोसा था.

छोरा गंगा किनारे वाला की अपनी इलाहाबादी छवि भुनाने के लिए अमिताभ ने भी सारे फिल्मी हथकंडे अपनाने प्रारम्भ कर दिए थे. वह इलाहाबाद की सड़कों गलियों में जिधर भी निकलते रास्ते जाम हो जाते थे. लड़के उनके पीछे दौड़ते थे  लड़कियां अमिताभ की एक झलक पाने के लिए छज्जों  छतों पर टूट पड़ती थीं.अमिताभ  उनकी अभिनेत्री पत्नी जया बच्चन धीरे धीरे सारे इलाहाबाद में छा गए  बहुगुणा को लगने लगा कि उनकी सियासी जमीन खिसक रही है.

एक बार अमिताभ  बहुगुणा का काफिला आमने सामने आ गया. दोनों के समर्थकों में पहले निकलने के लिए नारेबाजी प्रारम्भ हो गई. तनाव खासा बढ़ गया तभी आकस्मित खुली जीप में सवार अमिताभ नीचे उतरे  उन्होंने जाकर बहुगुणा को प्रणाम किया  आशीर्वाद मांगा. बहुगुणा ने आशीर्वाद दिया  अमिताभ ने उन्हें पहले निकलने को कहा. बहुगुणा का काफिला निकल गया  प्रशासन ने चैन की ने सांस ली.

कांग्रेस अध्यक्ष  तत्कालीन पीएम राजीव गांधी ने अपने दोस्त  बच्चन परिवार के वारिस अमिताभ बच्चन की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा जोर लगा दिया.दिल्ली से कई धुरंधरों ने इलाहाबाद में डेरा जमा लिया. इनमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय  दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की विद्यार्थी पॉलिटिक्स के महान रहे देवी प्रसाद त्रिपाठी (डीपीटी) जैसे लोग भी थे. त्रिपाठी अब एनसीपी प्रवक्ता  सांसद हैं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के महान नेता जिनमें नारायण दत्त तिवारी, केंद्रीय मंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह आदि महान भी अमिताभ की जीत के लिए जुटने वाले नेताओं में शामिल थे. कांटे का मुकाबला धीरे-धीरे अमिताभ की तरफ झुकता गया  मतदान के बाद जब नतीजे आए तो इलाहाबाद में सियासत के महान हेमवती नंदन बहुगुणा पॉलिटिक्स में नौसिखिए फिल्मी सितारे अमिताभ बच्चन से 187795 वोटों से चुनाव पराजय गए. अमिताभ ने यह जीत भारी मतों की बढ़त से हासिल की थी.