असम के शिवसागर में राहुल ने कहा, हम सरकार में आए तो होगी खत्म…

पुलवामा हमले की दूसरी बरसी पर देश के पूर्व रक्षा मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एके एंटनी ने प्रेस से बात की। इस दौरान उन्होंने मौजूदा राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर देश की मोदी सरकार को नसीहत दी। उन्होंने बताया कि कैसे भारत के सामने दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति और उससे कैसे निपटा जा सकता है।

पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा, “मैं दुखी हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को पूर्ण प्राथमिकता नहीं दे रही है। देश दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। पहली बार ऐसा है जब दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति है। निश्चितरूप से पाकिस्तान बहुत पहले से ही बॉर्डर पर हरकतें कर रहा है और आतंक को बढ़ावा दे रहा है। पाकिस्तान आतंकियों को हमारे देश में भेज रहा है। वहीं, चीन एलएसी पर अपनी सैन्य संख्या और शक्ति को बढ़ा रहा है। इसके साथ ही वह इन्फ्रास्ट्रक्चर, उपकरण को मजबूत कर रहा है। चीन की ओर से यह स्थिति पूर्ण बॉर्डर पर है। अरुणाचल, लद्दाख, सिक्किम. हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड तक ऐसी स्थिति है।”

पूर्व रक्षा मंत्री ने आगे कहा, “हाल ही में खास तौर पर अरुणाचल प्रदेश, पूर्वी लद्दाख और सिक्किम बॉर्डर समेत कई बिंदुओं पर उनकी सेनाओं की संख्या बढ़ रही है, मजबूत हो रही है। हाल ही में मीडिया में यह रिपोट्स आई थी कि अरुणाचल में उनकी ओर से नए गांव बसा दिए गए। सिक्किम बॉर्डर पर भी उनकी गतिविधि बढ़ गई है।

असम के शिवसागर में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “असम का सबसे बड़ा मुद्दा रोजगार है। असम का युवा जानता है कि बीजेपी सरकार में रोजगार नहीं मिलेगा। नरेंद्र मोदी खेती को खत्म करने के लिए तीन कृषि कानून लाए हैं। हम यहां सरकार में आएंगे तो जो नफरत फैलाई जा रही है वो खत्म होगी। हिंदुस्तान की सरकार ने तरुण गोगोई जी का और इस प्रदेश का अपमान किया है। असम की जनता में वो क्षमता है कि अवैध प्रवास के मुद्दे को मिलकर सुलझाया जा सकता है। अगर यह प्रदेश फिर से बंट गया, जो बीजेपी और आरएसएस रोज करते हैं तो असम का नुकसान होगा।”

मैं इन सभी चीजों की डिटेल में नहीं जाना चाहता, लेकिन एक चीज साफ है कि पूरे भारत-चीन बॉर्डर पर 24 घंटे ध्यान देने की आवश्यकता है। बेशक हमारी सेनाए तैयार हैं। अपने जीवन और स्वास्थ्य को खतरे में डालकर 24 घंटे हमारी सेनाएं चौकन्ना हैं। उन्हें देश और सरकार के सपोर्ट की जरूरत है। चीन अपनी सेना, इंफ्रास्ट्रक्चर और ताकत को बढ़ा रहा है। ऐसे में जरूरत है कि हम भी उसके स्तर पर अपनी ताकत को बढ़ाएं।”

एके एंटनी ने आगे कहा, “हाल ही में एक नया खतरा उत्पन्न हुआ है। इंडो पैसिफिक क्षेत्र में भी चीन अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है। पहले वह थल सेना और वायुसेना के जरिए अपनी ताहत दिखा रहा था अब वह इंडो पैसिफिक क्षेत्र नेवी के जरिए अपनी शक्ति दिखा रहा है। यह वो समय है जब सरकार को हमारी सेनाओं को सपोर्ट करना चाहिए।”

केंद्रीय बजट में रक्षा बजट पर एके एंटनी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, “केंद्रीय बजट को देखिए। जब भारत दो मोर्चों पर युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। ऐसे में सभी को उम्मीद थी की रक्षा बजट में सरकार पर्याप्त वृद्धि करेगी। लेकिन पिछले साल की तुलना में सरकार ने इस साल 1.48 फीसदी कम है। यह देश के साथ दोखा है। सरकार ने हमारी सेनाओं को छोड़ दिया है। यही वजह है कि मैं कह रहा हूं कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा पर पूरी तरह से ध्यान नहीं दे रही है। बजट के बाद हम सभी ने सरकार से यह अनुरोध किया कि कृपया मौजूदा हालात को समझिए और रक्षा बजट को बढ़ाइए।”

एके एंटनी ने आगे कहा, “अब एलएसी की बात करते हैं। कुछ दिन पहले हमारे रक्षा मंत्री ने संसद में पूर्वी लद्दाख की मौजूदा स्थिति पर बयान दिया। उन्होंने बताया कि पैंगोंग में डिसएंगेजमेंट किया गया। इससे पहले मैं आपको गलवान वैली की डिसएंगेजमेंट के बारे में बताता हूं। बॉर्डर पर शांति का हम स्वागत करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि किस किमत पर? यह बेहद जरूरी है। पैंगोंग और गलवान डिसएंगेजमेंट एक सरेंडर है। हमने नियंत्रण वाले इलाके को सरेंडर किया है। वह इलाके जो भारत की कंट्रोल में थे उन इलाकों में हमने अपने अधिकारों को सरेंडर कर दिया है। हम सब जानते है कि गलवान वैली कितना महत्वपूर्ण है। गलवान वैली कभी डिस्प्यूट का हिस्सा नहीं था। 1962 में भी गलवान वैली डिस्प्यूटेड नहीं था। वह हमेशा से भारत का हिस्सा था। लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है। हमने अपने 20 जवानों को खो दिया। 1975 के बाद पहली बार एलएसी पर खून बहा और हमने अपने जवान खो दिए। सबने सोचा कि सरकार हमारी सीमाओं की रक्षा करेगी और हमारे शहीद जवानों की शहादत को व्यर्थ नहीं जाने देगी। लेकिन नतीजा क्या हुआ? चीनी सेना अपने इलाके में चली गई। और भारतीय सेना उस इलाके से पीछे आ गई जो उसके कंट्रोल में था। इसलिए इस डिसएंगेजमेंट और बफर जोन का मतलब हमारी जीमन को सर्मपण करना है।”