गणतंत्र दिवस के मौके पर मायावती ने किया ये काम, जानकर लोग हुए हैरान

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इस देश की असली जनता ने लाचार, मजबूर व भूखे रहकर भी देश के लिए हमेशा कमर तोड़ मेहनत की है फिर भी उनका जीवन सुख-समृद्धि से रिक्त है जबकि देश की सारी पूँजी कुछ मुट्ठीभर पूँजीपतियों व धन्नासेठों की तिजोरी में ही लगातार सिमट कर रह गई है.

 

जो ईष्र्या की बात नहीं है मगर एक प्रकार से गलत व अनुचित मानी जाने वाली बात जरूर होनी चाहिए। देश में करोड़ों गरीबों व चन्द अमीरों के बीच दौलत की खाई लगातार बढ़ती ही जा रही है.

जो भारत जैसे महान संविधान वाले देश के लिए अति-चिन्ता के साथ-साथ बड़े दुःख की भी बात है और आज गणतंत्र दिवस के दिन यह गंभीर चिन्तन का विषय होना ही चाहिये।

उन्होने कहा कि यह देश बाबा साहेब डाॅ. अम्बेडकर के अपार देशप्रेम व उससे ओत-प्रोत मानवतावादी संविधान देने के लिए उनका हमेशा ही ऋणी व शुक्रगुजार रहा है लेकिन उनके समतामूलक संवैधानिक आदर्शों व सिद्धान्तों पर अमल करने का मामला काफी ढीला व ढुलमुल ही रहा है.

जिसके लिए यहाँ केन्द्र व राज्यों में ज्यादातर रहीं कांग्रेस व बीजेपी की सरकारें ही खासकर ज्यादा दोषी मानी जायेंगी वरना देश में जातिवाद के साथ-साथ यहाँ आर्थिक एवं सामाजिक भेदभाव व विषमता का भी अब तक काफी हद तक अन्त जरूर हो गया होता।

देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनायें देते हुये मायावती ने मंगलवार को कहा कि गणतंत्र दिवस को केवल रसम अदाएगी के तौर पर मनाने के बजाए करोड़ों गरीबों, कमजोर तबकों, मजदूरों, किसानों, छोटे व्यापारियों व अन्य मेहनतकश लोगों ने पिछले वर्षों में वास्तव में अपने जीवन में क्या पाया व क्या खोया इसके आकलन व समीक्षा की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए क्योंकि देश इन्हीं लोगों से बनता है व इनके बेहतर जीवन से फिर सजता व संवरता है।

उन्होने कहा कि 26 जनवरी 1950 को बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर का समतामूलक अति-मानवतावादी पवित्र संविधान लागू हुआ तबसे लेकर अब तक का देश का इतिहास यह साबित करता है .

यहाँ पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या फिर अब भाजपा की, दोनों ने ही मुख्य तौर पर अपने असली संवैधानिक दायित्वों से काफी हद तक मुह मोड़ा है वरना देश गरीबी, बेरोजगारी व पिछड़ेपन आदि से इतना ज्यादा पीड़ित व त्रस्त अबतक लगातार क्यों बना रहता।

किसान आंदोलन का सीधे तौर जिक्र किये बगैर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि गणतंत्र दिवस को केवल रस्म अदायगी के तौर पर मनाने की बजाय गरीब,कमजोर,किसान और मेहनतकश लोगों की जीवन यापन की समीक्षा करनी चाहिये।