चीन ने दिया युद्ध का संकेत, LAC पर बदला नज़ारा, मिसाइल के साथ खड़े हुए सैनिक

ऐसे में भारत का मानना है कि इन दोनों ही मोर्चे पर पीएलए की भूमिका से जिनपिंग खुश नहीं थे। वहीं दोकलम विवाद में जहां चीन को पीछे हटना पड़ा था, वहीं गलवान घाटी विवाद के बाद चीन की भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत घेराबंदी की है।

 

इन परिवर्तनों को देखते हुए भारत को आशंका है कि चीन एलएसी(LAC) पर भविष्य में विवाद पैदा करता रहेगा। ऐसी स्थिति में पूर्वी लद्दाख के साथ ही दूसरे क्षेत्रों में भी तनातनी बढ़ सकती है।

इसको ध्यान में रखते हुए उसने भी मजबूत तैयारी की है। जिसके चलते पूर्वी लद्दाख और उससे लगे आस-पास के इलाकों में भी भारतीय सेना बहुत अधिक सतर्कता बरतनी होगी।

दुश्मन देश चीन के सैन्य क्षेत्र में दोनों अहम परिवर्तनों के बाद से भारत बहुत ज्यादा चौकन्ना है। ऐसे में भारत को लगता है कि शी जिनपिंग ने इन दो अहम निर्णयों के जरिए भविष्य में चीन की विस्तारवादी नीति की राह में मजबूती से आगे बढ़ने का संदेश दिया है। ऐसी स्थिति में एलएसी(LAC) पर दोनों देशों के बीच जारी तनाव न केवल लंबा जाने वाला है, बल्कि एलएसी पर नए मोर्चे पर भी तनाव बढ़ सकता है।

असल में जनरल जोंगफुई काफी लंबे समय तक पश्चिमी कमान के प्रमुख रहे। उनके रहते ही दोकलम विवाद के बाद हालिया गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ।

चीन में लगातार हो रहे नीतिगत परिवर्तनों को लेकर भारत बहुत चौकन्ना है। चीन में ये परिवर्तन सैन्य स्तर पर हुए हैं। सबसे अहम तो ये है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी(PLA) के कमान जनरल ज्हाओ जोंगफुई की जगह ज्हेंग जूडोंग को पश्चिमी कमान का प्रमुख बनाए जाने के बाद अब लाइन ऑफ कंट्रोल(LAC) पर तनाव तेजी से बढ़ने की आशंका है। वहीं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना से जुड़े नीतिगत मामलों में मंत्रिमंडल की भूमिका को भी समाप्त कर दिया है।