UP में इस बार का पंचायत चुनाव होगा पहले से अलग, जानिए कैसे…

कोरोना काल के दौरान अपने गांव लौटे प्रवासी लोगों को उनके गांव में ही क्वारंटीन सेंटर बनाकर 14 दिनों के लिए रखा गया था. ऐसे केन्द्रों की व्यवस्था बहुत कुछ ग्राम प्रधानों ने ही संभाल रखी थी. ऐसे में जिस ग्राम सभा में जैसी व्यवस्था हुई होगी, प्रवासी लोग उसी के हिसाब से वोट कर सकते हैं.

इसमें तो कोई दो राय नहीं कि कोरोना काल की यादें दिलो-दिमाग से इतनी जल्दी मिटनी नहीं हैं. कोरोना काल में जब सब एक दूसरे से दूरी बना रहे थे तब जिस ग्राम प्रधान ने या पंचायत प्रतिनिधि ने लोगों को सहारा दिया होगा, लोग उसे भूल नहीं पायेंगे. व्यक्तिगत कारणों को तिलांजलि देकर ऐसे लोग मददगारों को वोट करेंगे. वोटिंग का ये नया रूप इस बार के पंचायत चुनावों में देखने को मिल सकता है.

कोरोना काल में हुए लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में लोग अपने-अपने गांव पहुंचे थे. इसमें से कुछ लोग काम पर वापस उन्हीं प्रदेशों में लौट गये लेकिन, एक बड़ी जमात गांवों में ही रूक गई है.

गाजीपुर जिले की सेंवराई पंचायत की प्रत्याशी मनीषा सिंह ने बताया, “वैसे तो इनमें से ज्यादातर लोग प्रधानी के चुनाव में गांव आकर वोट दे जाते थे लेकिन, इस बार पहली बार ऐसा हो रहा है कि ये नजदीक से इस चुनावी प्रक्रिया में शामिल हो रहे हैं.”

वहीं दूसरी ओर बलिया जिले की अखार ग्राम सभा में प्रधान रहे सुनील सिंह ने कहते हैं, “बाहर नौकरी करने वाले बहुतेरे लोग इस बार गांव में ही रूके हैं. इनमें से 10 फीसदी लोग ही पहले चुनाव में वोट देने आया करते थे.

वो भी तब जब इन्हें अपने खर्चे पर बुलाया जाता था.” जाहिर है प्रवासी लोगों के बड़ी संख्या में गांवों में रूकने से राजनीतिक समीकरण भी बदलेगा. प्रदेश में बहुतेरे पंचायतों में ऐसे लोग खुद भी चुनाव लड़ेंगे, इसकी उम्मीद है. जाहिर तौर पर इनका नजरिया ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े लोगों से अलग होगा. ऐसे में प्रधानी चुनाव में ये किसी प्रयोग से कम नहीं होगा.

पंचायत के चुनाव शायद मार्च तक हो जाएं. ये चुनाव 2022 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहे हैं. प्रदेश की सरकार के लिए वोट देने से पहले लोग गांव की सरकार बनाएंगे.

ये चुनाव विधानसभा और लोकसभा के चुनाव से भले ही अलग हो लेकिन, बड़े नेताओं की भी इसमें जबर्दस्त रुचि रहती है. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्राम प्रधान हो या जिला पंचायत अध्यक्ष, अपने हलके में वोटरों को जमा करने में काफी अहम रोल निभाता है.

ऐसे में पंचायत चुनावों के नतीजों से गांव-गांव में राजनीतिक दलों के भी जनाधार का आकलन किया जा सकेगा. गांव की सरकार प्रदेश में सरकार बनाने के लिए रास्ता बनाएगी.

यूपी में अगले कुछ महीनों में पंचायत के इलेक्शन (UP Panchayat Election) होने जा रहे हैं. इसमें 3 तरह के चुनाव होते हैं. पहला जिला पंचायत, दूसरा क्षेत्र पंचायत और तीसरा ग्राम पंचायत. इसीलिए इसे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कहते हैं.

पंचायतों का कार्यकाल 25 दिसम्बर को ही खत्म हो गया है. सभी पदों पर सरकार ने प्रशासन नियुक्त किया है. वैसे तो ये नौबत नहीं आनी चाहिए लेकिन, कोरोना काल में देरी हुई है.

अब चुनाव सर पर आ गए हैं और गांव-गांव में इसकी सरगर्मी देखने को मिल रही है. ये ऐसा चुनाव होता है जो बाकी सभी चुनावों से अलग होता है. इन चुनावों में व्यक्तिगत रिश्ते पर ही ज्यादातर वोट पड़ता है. फिर भी इस बार के पंचायत चुनाव अब से पहले हुए चुनावों से अलग होगा. आइये जानते हैं कैसे.