दुबग्गा समेत कई इलाकों में देखने को मिली यह तस्वीर

दरअसल ये बच्चे आम नहीं हैं. इनके पीछे भीख मंगवाने वाले गिरोह काम करते हैं जो बच्चों को आगे कर देते हैं और बाद में उनसे जुटाये गए पैसे में अपना हिस्सा वसूलते हैं. बच्चों के अधिकारों को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत भी कई बार गाइडलाइन्स जारी कर चुकी है, लेकिन न तो पुलिस (Police) और न ही प्रशासन इस ओर ध्यान देता है.

हाल ही में आगरा (Agra) में ऐसी ही भिक्षावृत्ति के खिलाफ अभियान चलाने वाले समाजसेवी नरेश पारस कहते हैं कि भिक्षावृत्ति से मुक्त कराकर बच्चों को पुनर्वासित कराया जाए और भीख मंगवाने वालों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाए. नरेश पारस के मुताबिक किशोर न्याय अधिनियम की धारा- 76(1) के तहत भीख मंगवाना अपराध है.

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है, लेकिन शहर के कई चौराहों पर पुलिस (Police) की नाक के नीचे मासूमों का बचपन छीना जा रहा है. बच्चों से भीख मंगवाई जा रही है. जब कार रेड लाइट पर रुकती है तो अचानक छोटे-छोटे बच्चे हाथ में कपड़ा लिए गाड़ी साफ करने लगते हैं. हज़रतगंज के हलवासिया चौराहे से लेकर कपूरथला, आईटी, पुराने लखनऊ (Lucknow) के चौक, दुबग्गा समेत कई इलाकों में ये तस्वीरें आम हैं.

यदि कोई भीख मंगवाने के लिए बच्चों को नियोजित करता है या किसी बच्चे से भीख मंगवाता है तो पांच साल की कैद और एक लाख रूपया दंड का प्रावधान है. इसी अधिनियम की धारा-76(2) के खंड 14 के उपखंड-5 के तहत जो भी व्यक्ति भीख मंगवाता है उसे अयोग्य माना जाएगा. संरक्षकता हटा ली जाएगी. नरेश कहते हैं कि भीख मंगवाने वालों के विरूद्ध उक्त अधिनियमों के तहत मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए. भीख मांगने वालों की स्मार्ट सिटी के सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाए.जिससे शहर की सड़कें भिखारी मुक्त हो सके और शहर वास्तविक रूप में स्मार्ट सिटी बन सके.