वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में होनी चाहिए ये चीज, जाने कैसे करे सुधार

घर में ईशान दिशा की मर्यादा अवश्य रखें। ईशान में गंदगी, अग्नि ताप, टॉयलेट्स, स्टोर,कूड़ा कचरा सीढ़ियों का निर्माण या यह भाग घर के अन्य भागों से ऊंचा हो तो यह उस घर की वंश वृद्धि पर ग्रहण लगा देता है या उसकी संतान मंदबुद्धि, अविकसित या स्वच्छंद हो जाती है।

 

ऐसे घर में संतान पक्ष को कोई ना कोई दिमागी बीमारी लगी रहती है। गृह स्वामी के लिए धन का अपव्यय अनावश्यक होता रहता है। ऐसे घरों में यह आवश्यक है कि उस दिशा में उपरोक्त वस्तुओं को तुरंत हटा दिया जाए। ईशान हमारी बुद्धि है। इस दिशा में स्टोर, कूड़ा करकट एवं अग्नि का सामान तो किसी भी कीमत पर ना रखा जाए।

उत्तर के कमरे में यदि भारीपन है तो उस कमरे उस कमरे में हल्का सामान रखें। घर का सारा भारी सामान दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रखें। संभव हो तो उत्तर के कक्ष को बच्चों का पढ़ाई कक्ष बना दें।

भवन प्राकृतिक संसाधनों से युक्त, वास्तु नियमानुसार और पंचतत्व के अनुकूल हो ताकि उनके निवासी रोगमुक्त, सुखी और संपन्न रहें। यही वास्तु शास्त्र का उद्देश्य है।

कभी-कभी अनजाने में ऐसा वास्तु दोष उत्पन्न हो जाता है जिससे गृहस्वामी या अन्य सदस्य बीमार हो जाते हैं। मौसमी बीमारी तो सामान्य रूप से ठीक हो जाती हैं, लेकिन असाध्य बीमारी बहुत परेशान करती हैं। ज्योतिषाचार्य पं.शिवकुमार शर्मा से जानिए वास्तु के चलते होने वाले रोग और उपाय‌।

उत्तर दिशा मातृ स्थान होता है। नवीन निर्माण कराते समय उत्तर में दक्षिण के अपेक्षा अधिक स्थान खाली छोड़ना आवश्यक है। उत्तर में खाली स्थान नहीं छोड़ा गया और ईशान कटा हुआ है तो उस घर के पुत्र संतान और माता पक्ष किसी न किसी असाध्य बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं।

ऐसे भवनों को लेने से बचें जिसकी उत्तर दिशा दक्षिण दिशा से भारी हो। ईशान कोण छोटा हो। यदि आपने ऐसा मकान पहले से ही लिया हुआ है तो उत्तर-पूर्व में बड़ा शीशा लगा दें ताकि दिशा भ्रम होकर वह दिशा बढ़ती हुई दिखाई दे।

यदि आपका भवन मूसलाकार, गोलाकार, दंडाकार और टी आकार के भूखंड पर बनाया गया है तो वहां के निवासी लगातार बीमारी,तनाव और धन से दुख पाते रहते हैं। इसका वास्तुशास्त्रीय उपाय यह है कि मकान खरीदने से पहले ऐसे भवनों से दूर रहें और ऐसे प्लाट पर मकान न बनाएं।

यदि गलती से मकान बन गया है तो अपने पितृ देवता और इष्टदेव का नियमित पूजन करें और घर के उत्तर-पूर्व कोने में भगवान विष्णु की प्रतिमा लगाएं। द्वार पर गणेश जी की प्रतिमा चौखट के ऊपर आगे पीछे लगा दे जिससे ऐसा लगे कि दोनों की पीठ से पीठ मिली हुई हो।

पूर्व दिशा या ईशान कोण में ऊंची और पश्चिम में नीची भूमि नाग पृष्ठ तथा पूरब-पश्चिम में लंबी तथा उत्तर-दक्षिण में ऊंची भूमि में निवास करने वाले लोग स्त्री, पुत्र यदाकदा बीमार रहते ही हैं।

उत्तर-पूरब और ईशान में ढलान वाले प्लॉट ही शुभ रहते हैं। यदि आपके घर में ऐसा नहीं है तो उसे आप फर्श को पूरी तरह समतल करवा सकते हैं। इसके पश्चात घर से बीमारियां दूर चली जाएंगी।