हिन्दुस्तान में 100 वर्षों में पांचवीं बार हुई ये बड़ी घटना, जानकर हुए हैरान

इस वर्ष जून महीने में गर्मी ने जमकर अपना कहर बरपाया है. बढ़ते तापमान से देश से लेकर विदेश तक में लोग बेहाल है.

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मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार बीते 100 वर्षों में पांचवीं बार जून सबसे सूखा महीना रहा. सारे देश में जून के महीने में बारिश औसत से 35 प्रतिशत कम रही है. अब जून भी समाप्त होने वाला है. देखा जाए तो आमतौर पर जून महीने में 151 मिलीमीटर बारिश होती है. वहीं इस महीने अब तक यह आंकड़ा 97.9 मिलीमीटर ही रहा है. मानसून में देरी की वजह से खरीफ की फसल अच्छा से नहीं हो पा रही है. जिसका प्रभाव अर्थव्यवस्था पर देखने को मिलेगा.

फिलहाल संभावनाएं है कि इस महीने के अंत तक 106 से 112 मिलीमीटर तक बारिश हो सकती है. साल 1920 के बाद से ऐसे 4 ही वर्ष थे. जब इस तरह सूखा पड़ा हो. वर्ष 2009 में सबसे कम 85.7 मिलीमीटर, 2014 में 95.4, 1926 में 98.7 मिलीमीटर  1923 में 102 मिलीमीटर बारिश हुई थी. वर्ष 2009  2014 में अल-नीनो के कारण मानसून निर्बल रहा था. इस वर्ष भी ऐसी ही स्थिति है.

दरअसल, अल नीनो के असर के कारण पूर्वी  मध्य प्रशांत महासागर की सतह में असामान्य रूप से गर्मी की स्थिति होती है. इससे हवाओं का चक्र प्रभावित होता है  भारतीय मानसून पर इसका बेहद ही उल्टा प्रभाव डालता है. मौसम वैज्ञानिकों ने संभावना जताई थी कि अल नीनो देर से सक्रिय  निर्बल रहेगा. हालांकि, पिछले सप्ताह ऐसे इलाकों में भी बारिश हुई जो लंबे समय से सूखे की मार झेल रहे थे.

एक खुशखबरी यह भी है कि रविवार 30 जून तक बंगाल की खाड़ी में कम दबाव की स्थिति बर रही है. इसके चलते जुलाई के पहले हफ्ते में ओडिशा, मध्य हिंदुस्तान  उत्तर पश्चिम हिंदुस्तान में अच्छी खासी बारिश हो सकती है. मौसम विभाग के वरिष्ठ ऑफिसर ने बोला कि हम 30 जून के बाद मानसून में अच्छी मजबूती की उम्मीद कर रहे हैं. उन्होंने बोला कि इस बात की बहुत ज्यादा उम्मीदें है कि मॉनसून मध्य भारत, गुजरात के बाकी हिस्सों की ओर बढ़ेगा.