हिंदुस्तान व रूस ने एस-400 डील पर किए हस्ताक्षर

भारत  रूस ने अपने दो दशकों के सबसे बड़े रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. दोनों राष्ट्रों के बीच शुक्रवार को 8 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए थे. जिसमें एस-400 सर्फेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम भी शामिल है. लेकिन अब दोनों राष्ट्रों के बीच पैसों के ट्रान्सफर को लेकर बड़ी चुनौती सामने खड़ी है. अमेरिका द्वारा रूस पर प्रतिबंध लगाए गए हैं. जिसकी वजह से सौदे की 5.43 बिलियन डॉलर की राशि के ट्रान्सफर को लेकर कठिनाई बनी हुई है. Image result for हिंदुस्तान व रूस ने एस-400 डील पर किए हस्ताक्षर

बताया जा रहा है कि एस-400 का उत्पादन करने वाली कंपनी भी अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रही है. ऐसे में बेशक सौदे के लिए हिंदुस्तान को अमेरिका की तरफ से छूट मिल जाए लेकिन उत्पादन कंपनी पर लगे प्रतिबंध के कारण बैंकिंग लेन-देन में मुश्किलें आएंगी. हिंदुस्तान  रूस के बीच यह सौदा लंबे समय से प्रस्तावित था. जिसपर पीएम नरेंद्र मोदी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने शुक्रवार को हस्ताक्षर किए. इसके बाद दोनों ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस की.

अमेरिका द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंध  हिंदुस्तान को लगातार अमेरिका से मिल रही चेतावनी के बावजूद इस सौदे पर मुहर लगने को अहम माना जा रहा है. एस-400 चाइना पाकिस्तानी सीमा पर इंडियन सेना की ताकत बढ़ाएगा. इस सौदे को इसलिए भी बहुत ज्यादा अहम माना जा रहा है क्योंकि चाइना ने जनवरी में 6 एस-400 मिसाइल तैनात की थी.चाइना  रूस के बीच 2014 में यह सौदा हुआ था.

रूस से एस-400 खरीदने की वजह से अमेरिका ने चाइना पर भी प्रतिबंध लगाए हैं. मगर हिंदुस्तान को उम्मीद है कि उसे ट्रंप प्रशासन से छूट मिल सकती है. उम्मीद है कि हिंदुस्तान में 2020 तक इन मिसाइल सिस्टमों की डिलीवरी होगी. चाइना को पहले ही इसकी डिलीवरी की जा चुकी है. लंबी वार्ता के बाद दोनों राष्ट्रों के बीच यह सौदा फाइनल हो चुका है. लेकिन अब हिंदुस्तान के सामने रूस को पैसा हस्तांतरित करने की सबसे बड़ी चुनौती है. विशेषज्ञों का मानना है कि सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद निर्माण करने वाली कंपनी को 15 फीसदीराशि एडवांस में दी जाएगी ताकि वह उत्पादन प्रारम्भ कर सके.

एस-400 की बात करें तो इसका निर्माण करने वाली कंपनी अलमाज-एंटी अमेरिकी प्रतिबंधों की लिस्ट में है. जिसकी वजह से इसके बैंकिंग लेनदेन पर रोक लगी हुई है. भले ही हिंदुस्तान को इस सौदे में अमेरिका की तरफ से छूट मिल जाए, लेकिन इसके बावजूद भी निर्माता कंपनी पर लगा प्रतिबंध सौदे के पूरा होने में रोड़ा अटकाएगा. यहां तक कि रूस के साथ पूर्व में किए गए सौदे का भी फिल्हाल भुगतान रुका हुआ है.