हापुड़ लॉन्चिग मुद्दे में जाँच पर सवाल उठाने वाली अर्जी पर उच्चतम न्यायालय आज सुनवाई करेगा। दरअसल, पीड़ित की तरफ से अर्जी दाखिल कर बोला गया है कि जाँच ठीक दिशा में नहीं हो रही है लिहाजा उच्चतम न्यायालय को इस मुद्दे में दखल दे।
आपको बता दें कि पिछले वर्ष उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था व मेरठ के आईजी से सारे घटना की रिपोर्ट सौंपने को बोला था। कोर्ट ने पुलिस से समीउद्दीन की सुरक्षा सुनिश्चित करने को भी बोला था।
आपको बता दें कि गवाह समीउद्दीन ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा व केस को उत्तर प्रदेश से बाहर ट्रांसफर करने की मांग की थी। साथ ही मुद्दे में उच्चतम न्यायालय की निगरानी में SIT टीम के गठन की मांग भी की थी। याचिकाकर्ता ने दो आरोपियों को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की थी। याचिकाकर्ता ने बोला था कि लोकल पुलिस उच्चतम न्यायालय द्वारा मॉब लिंचिंगकेस में जारी दिशा निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। पुलिस एफआईआर को रोड रेज का मुद्दा बना कर केस पंजीकृत कर रही है। पुलिस ने अभी तक उसका बयान तक पंजीकृत नहीं किया है। उनकी मांग है कि बयानों को मजिस्ट्रेट के समक्ष पंजीकृत कराया जाए व साथ ही मुद्दे में विशेष लोक अभियोजकनियुक्त किया जाए।
आपको बता दें कि पिछले महीने उच्चतम न्यायालय ने इस मुद्दे में केन्द्र व प्रदेश सरकारों को आदेश जारी किया था। न्यायालय ने मॉब लिंचिंग व गौरक्षा के नाम पर होने वाली हत्याओं को लेकर बोला था कि कोई भी नागरिक कानून अपने हाथ में नहीं ले सकता। भय व तानाशाही की स्थिति में प्रदेश सरकारें सकारात्मक रूप से कार्य करें। न्यायालय ने संसद से ये भी बोला था कि वो देखे कि इस तरह की घटनाओं केलिएकानून बन सकता है क्या?
सुप्रीम न्यायालय ने केन्द्र व प्रदेश सरकारों को दी गई गाइडलाइन जारी करने को बोला था व अगले 4 हफ्तों में न्यायालय में जवाब पेश करने के आदेश भी दिए थे। उच्चतम न्यायालयने जाति व धर्म के आधार पर लिंचिंग के शिकार बने लोगों को मुआवजा देने की मांग कर रही लॉबी को भी बड़ा झटका दिया था। चीफ जस्टिस ने एडवोकेट इंदिरा जयसिंह से असहमति जताते हुए बोला था कि इस तरह की हिंसा का कोई भी शिकार होने कि सम्भावना है सिर्फ वो ही नहीं जिन्हें धर्म व जाति के आधार पर निशाना बनाया जाता है।