हर रोज 11 सौ लोग उड़ाते है इनकी धज्जियां, जानिए ऐसे…

84 फीसदी से अधिक साक्षरता दर वाले देहरादून में यातायात के नियमों के प्रति जो अज्ञानता देखने को मिलती है, वह न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि यह भी इशारा देती है कि सड़क पर हम खुद व अन्य की सुरक्षा को लेकर कितने संजीदा हैं.

सिर्फ इतना ही नहीं, उत्तराखंड की राजधानी देहरादून ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाने में भी सबसे ऊपर है. चालान के बदले जुर्माना भरने में भी देहरादून ही सबसे अव्वल है. यहां हर रोज करीब 11 सौ लोग यातायात नियमों का मखौल उड़ाते हैं.

उत्तराखंड के यातायात निदेशालय के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2018 में मोटर वाहन अधिनियम में कुल 16.14 लाख चालान हुए. इसमें सबसे ऊपर देहरादून है, जहां 3.91 लाख चालान हुए हैं. दूसरे नंबर पर ऊधमसिंहनगर रहा, जहां 3.49 लाख चालान लोगों ने भुगते. 2.55 लाख चालान के साथ हरिद्वार तीसरे नंबर पर व 1.70 चालान के साथ नैनीताल चौथे नंबर पर रहा.

वहीं, इस वर्ष जनवरी से लेकर अप्रैल तक देहरादून में 1.35 लाख चालान हो चुके हैं व वर्ष के आठ महीने अभी बाकी हैं. जाहिर है यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाने का क्रम यूं ही चलता रहा व पुलिस ऐसे ही लोगों को जागरूक करने की दिशा में कागजी घोड़े दौड़ाती रही तो शायद 2019 के आंकड़ों की तुलना में पिछले वर्ष की कार्रवाई बौनी दिखने लगेगी.

सरकार को मिला 31.83 करोड़ का राजस्व

यातायात नियमों के उल्लंघन में किए गए चालान से उत्तराखंड सरकार को साल 2018 में 23.74 करोड़ रुपये व इस वर्ष जनवरी से अप्रैल महीने तक में 8.09 करोड़ का राजस्व मिल चुका है. जाहिर सी बात है पुलिस से लेकर सिटी पेट्रोल यूनिट तक सिर्फ चालान की मशीन बनकर रह गए हैं.

उनका फोकस इस बात पर है ही नहीं कि कौन से ऐसे प्रभावी कदम उठाए जाएं, जिससे यातायात नियम तोड़ने की प्रवृत्ति को यातायात जागरूकता में बदला जाए. हो भी क्यों, जब चालान से हर वर्ष करोड़ों का राजस्व प्राप्त हो रहा है.

दफ्तर तक सिमटी ट्रैफिक पुलिस

आंकड़े उत्तराखंड की सड़कों पर ट्रैफिक की बदइंतजामी की भी पोल खोल देते हैं. देहरादून, ऊधमसिंहनगर, हरिद्वार व नैनीताल जनपदों में ट्रैफिक पुलिस सिर्फ फाइलें निपटाने ववीआइपी ड्यूटी में पसीना बहाने तक ही सिमट कर रह गई है. देहरादून की बात करें तो यहां पिछले कई महीने से यातायात व्यवस्था पटरी से उतरी हुई है. जिम्मेदार ऑफिसर दशा के वभी चुनौतीपूर्ण होने का इंतजार कर रहे हैं.

सभी हो होना पड़ेगा जागरूक

उत्तराखंड के यातायात निदेशक केवल खुराना के अनुसार, यातायात के नियम नागरिकों की सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं. उसका पालन करना हर किसी का कर्तव्य है. इसे लेकर सभी को जागरूक होना होगा. पुलिस कार्रवाई इसलिए करती है कि लोग यातायात के नियमों को तोडऩे से पहले दस बार सोचें. जल्द ही यातायात जागरूकता को लेकर प्रदेश स्तर पर अभियान भी चलाया जाएगा.

एक घंटे में तय हुआ डेढ़ किमी का सफर

पर्यटन सीजन में शहर को जाम से मुक्त रखने को बनाई गई कार्ययोजना ने सड़क पर दम तोड़ दिया. गढ़वाल रेंज के आइजी ने चार दिन पूर्व ट्रैफिक को लेकर जो दिशा-निर्देश दिए थे, वह चंद दिनों में ही बेअसर हो गए.

शहर के कोर एरिया यानी भूसा स्टोर से लेकर घंटाघर व किशननगर चौक से लेकर धर्मपुर तक का क्षेत्र भीषण जाम की चपेट में रहा. दशा किस कदर बदतर रहे, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सहारनपुर रोड पर भूसा स्टोर से तहसील चौक तक का करीब डेढ़ किलोमीटर का सफर तय करने में वाहनों को एक घंटे से अधिक का वक्त लगा.

पहाड़ों की रानी मसूरी आने वाले पर्यटकों के चलते मंगलवार को सारे दिन जाम की स्थिति रही. एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि शहर में जाम लगने के व भी कारण हैं, जिन पर संबंधित विभागों से वार्ता की जा रही है.

मौसम के करवट लेने से बढ़ी भीड़ देहरादून समेत पर्वतीय क्षेत्रों में सोमवार को हुई झमाझम बारिश से मौसम बहुत ज्यादा सुहाना रहा. गर्मी से निजात पाने के लिए प्रातः काल से हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी यूपी व दिल्ली के पर्यटक उमड़ पड़े. ट्रैफिक पुलिस इस बात का अंदाजा ही नहीं लगा सकी कि मौसम के करवट बदलने का प्रभाव ट्रैफिक पर भी पड़ सकता है.

बेवजह बंद कर दिया द्रोण कट

गांधी रोड के द्रोण कट को बंद कर ट्रैफिक पुलिस ने शहर के कोर एरिया के यातायात को पटरी से उतारने का कार्य खुद अपने हाथों से ही किया. इसे लेकर अफसरों के अपने तर्क हो सकते हैं, मगर द्रोण कट बंद करने से जाम से निजात मिलने के बजाय दशा व कठिन हो गए.

नतीजतन जो वाहन द्रोण कट से ही कचहरी या दून मेडिकल कॉलेज की ओर से मुड़ जाते हैं, उन्हें तहसील चौक से दून चौक तक का चक्कर लगाना पड़ा. इससे तहसील चौक, दून चौक व एमकेपी रोड पर ट्रैफिक का प्रेशर दिन भर बना रहा.

अतिक्रमण बना मुसीबत की जड़

शहर की सड़कों पर फुटपाथ तक पर कब्ज़ा हो चुका है. जो फुटपाथ राहगीरों के पैदल चलने के लिए बनाए गए हैं, उन पर दुकानदारों के प्रचार बोर्ड रखे जा रहे हैं या उन पर दुकान का सामान रखकर प्रशासन को खुली चुनौती दी जा रही है. वहीं, पुलिस के अनुरोध के बाद भी आढ़त मार्केट के व्यापारियों के रुख में कोई परिवर्तन नहीं आया है.

पीक आवर में जब प्रातः काल ग्यारह बजे से शाम पांच बजे तक ट्रैफिक का प्रेशर अपने चरम पर रहता है, उस समय भी सड़क पर खड़े लोडर वाहनों से लोडिंग-अनलोडिंग होती रहती है.

चस्पा चालान का प्रारम्भ किया अभियान

जाम से निपटने में नाकाम ट्रैफिक पुलिस के रवैये को देखते हुए अब सिटी पुलिस ने अपने स्तर से कार्रवाई प्रारम्भ की है. एसपी सिटी श्वेता चौबे ने बताया कि शहर के सभी थानों को निर्देशित किया गया है कि जहां भी सड़क पर वाहन खड़े मिलें व उनकी वजह से यातायात पर उल्टा प्रभाव पड़ रहा हो तो उन वाहनों का चस्पा चालान किया जाए. इसी क्रम में कारगी रोड पर लालपुल से महंत इंदिरेश मेडिकल कॉलेज तक दो पंजीकृत न से अधिक वाहनों के चस्पा चालान किए गए.